मोदी के 'मेक इन इंडिया' की राह में हैं अड़चनें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर 'मेक इन इंडिया' पर है, लेकिन विदेशी कंपनियों को अभी उनके वादे पर भरोसा नहीं है। देश की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन के बाद अब दुनिया की कई कार कंपनियों ने एक स्वर में भारत में नए कारोबार की राह में आने वाली दिक्कतों को सामने रखा है। इन कंपनियों ने सरकार को ब
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर 'मेक इन इंडिया' पर है, लेकिन विदेशी कंपनियों को अभी उनके वादे पर भरोसा नहीं है। देश की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन के बाद अब दुनिया की कई कार कंपनियों ने एक स्वर में भारत में नए कारोबार की राह में आने वाली दिक्कतों को सामने रखा है। इन कंपनियों ने सरकार को बताया कि अगर 'मेक इन इंडिया' को लेकर वह गंभीर है तो उसे कई तरह के सुधार करने होंगे।
कार कंपनियों के शीर्ष संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चर्स (सियाम) की शुक्रवार को सालाना बैठक थी। इसमें विदेशी कार कंपनियों ने भारत में कारोबार करने का लाइसेंस लेने से लेकर केंद्र व राज्य सरकार की कर नीति में तमाम खामियां गिना दी हैं। जापान की होंडा मोटर कंपनी के चेयरमैन फुमिहिको इके ने बगैर किसी लाग लपेट के कहा कि भारत में कारोबार करने के माहौल में कोई सुधार नहीं हुआ है।
कारों के कल-पुर्जे बनाने वाली कई जापानी कंपनियां भारत में कारोबार शुरू करना चाहती हैं, लेकिन उन्हें यहां सहयोगात्मक माहौल नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में मोदी के मेक इन इंडिया के लक्ष्य को हासिल करने में अभी बहुत कुछ करना होगा। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि नई सरकार ऐसा माहौल बनाने में सफल हो सकती है। इके ने सरकार से आग्रह किया कि सबसे ज्यादा ध्यान कर ढांचे में बदलाव पर होना चाहिए।
जीएसटी लागू करने में अब देरी नहीं होनी चाहिए। इसी तरह से जापान की एक और प्रमुख कार कंपनी निसान मोटर के वाइस प्रेसिडेंट और कंपनी के भारत प्रमुख ताकाशी हाता ने भारत में लगाए जाने वाले तमाम तरह के करों व शुल्कों को काफी झमेले वाला बताया। अमेरिकी कार कंपनी जनरल मोटर्स (जीएम) के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट स्टीफन जैकोबी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में अपार क्षमता है। लेकिन इसका पूरा दोहन तभी होगा जब सरकार हर क्षेत्र में आर्थिक सुधार लागू करे।
जैकोबी ने भी वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी को जल्द से जल्द लागू करने की बात कही। उनके मुताबिक इससे स्थानीय स्तर पर निवेश करने का आकर्षण बढ़ेगा। इससे कारों की कीमतें भी घटेंगी।