टाटा समूह के विवाद से पारसी समुदाय हतप्रभ
देश के सबसे सम्मानित उद्योग समूह टाटा संस से बतौर चेयरमैन साइरस मिस्त्री की विदाई के बाद उठे विवाद से छोटा सा पारसी समुदाय हतप्रभ है
मुंबई: देश के सबसे सम्मानित उद्योग समूह टाटा संस से बतौर चेयरमैन साइरस मिस्त्री की विदाई के बाद उठे विवाद से छोटा सा पारसी समुदाय हतप्रभ है। टाटा समूह के मूल्य और सिद्धांतों को लेकर भी पारसियों में बहस छिड़ गई है। करीब 148 साल पुराना टाटा समूह जहां मुनाफे के बजाय अपने मूल्य और सिद्धांतों का दामन थामे रहा है जबकि साइरस मिस्त्री ने बदलाव लाते हुए समूह का फोकस मुनाफे की ओर कर दिया।
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मुंबई में समुदाय के फायर टैंपल से निकलते हुए एक पारसी महिला ने कहा कि दोनों पक्षों को आपस में मिल-बैठकर मतभेद सुलझाने चाहिए, न कि सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर कीचड़ उछालना चाहिए। इस विवाद में जहां रतन टाटा देश के सबसे प्रतिष्ठित पारसी परिवार से नाता रखते हैं तो दूसरी ओर साइरस मिस्त्री भी पारसी समुदाय के लिए जाने-माने शपूरजी-पलोनजी परिवार से जुड़े हैं। दोनों ही उस पारसी समुदाय के वंशज हैं जो नौवीं सदी में भारत आए थे।
टाटा संस ने 24 अक्टूबर को मिस्त्री को बतौर चेयरमैन हटाने की घोषणा की थी। कंपनी के सूत्रों के अनुसार मिस्त्री की कारोबारी रणनीति पारसी समुदाय के मूल्यों के विपरीत मानी गई। पारसी समुदाय समाज सेवा और मानव सेवा को सबसे यादा अहमियत देता है। टाटा संस से हटाये जाने के बाद मिस्त्री ने कंपनी के बोर्ड को पांच पेज का ई-मेल भेजकर कंपनी की कॉरपोरेट गवर्नेस की कड़ी आलोचना की थी। इसके बाद से दोनों ओर से लगातार आरोप लगाये जा रहे हैं।
टाटा समूह की कुछ कंपनियों की दूसरी पीढ़ी के शेयरधारक रूमी बलसारा ने कहा कि उनका मानना है कि मिस्त्री को थोड़ी गरिमा और आत्मसम्मान दिखाना चाहिए था। सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाने की कोई जरूरत नहीं है। विवादों पर बातचीत बोर्ड रूम के भीतर होनी चाहिए।