सुब्रत राय की गुहार रहम मी लॉर्ड
चार महीने से तिहाड़ जेल में बंद सहारा प्रमुख सुब्रत राय ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से रहम की गुहार लगाई है। लंदन और न्यूयॉर्क के तीन होटलों का सौदा करने के लिए सुब्रत ने कोर्ट से 40 दिन की रिहाई मांगी है। कोर्ट ने सुब्रत की रिहाई पर बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चार महीने से तिहाड़ जेल में बंद सहारा प्रमुख सुब्रत राय ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से रहम की गुहार लगाई है। लंदन और न्यूयॉर्क के तीन होटलों का सौदा करने के लिए सुब्रत ने कोर्ट से 40 दिन की रिहाई मांगी है। कोर्ट ने सुब्रत की रिहाई पर बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला निवेशकों को पैसा नहीं लौटाने का है।
आयकर विभाग ने भी मामले में पक्षकार बनाने का आग्रह करते हुए सहारा समूह पर करीब 10 हजार करोड़ की आयकर देनदारी बताई है। कोर्ट ने विभाग को इस बारे में हलफनामा दाखिल कर ब्योरा मांग लिया है। ये आदेश शुक्रवार को न्यायामूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिए।
इससे पहले सहारा के वकील राजीव धवन ने कोर्ट से लंदन और न्यूयॉर्क स्थित तीन होटलों को बेचने की इजाजत मांगी ताकि रिहाई की रकम का इंतजाम किया जा सके। बाजार नियामक सेबी की ओर से खास आपत्ति न जताने पर कोर्ट का रुख इस बारे में सकारात्मक दिखा। लेकिन, तभी धवन ने होटलों का सौदा करने के लिए सुब्रत को 40 दिन की रिहाई देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वह कोर्ट से रहम की गुहार लगा रहे हैं। कोर्ट उन पर रहम करे। सुब्रत और दो निदेशक पिछले 4 महीने से जेल में हैं। जबकि न्यायालय की अवमानना में भी सिर्फ छह महीने की सजा है।
धवन ने कहा कि इसके अलावा कंपनी पर मूलत: 17 हजार करोड़ की देनदारी बनती है और इसमें से आधी रकम यानी 8,000 करोड़ अदा की जा चुकी है। इसे देखते हुए भी कोर्ट सुब्रत को रिहाई दे दे। अगर, कोर्ट रिहाई नहीं देता है तो कम से कम होटलों का सौदा करने के लिए सुब्रत को दिल्ली सरकार के गेस्ट हाउस में ही स्थानांतरित कर दे। जबकि सेबी ने सौदे के लिए सुब्रत की रिहाई का विरोध किया। सेबी ने कहा कि सौदा तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये भी हो सकता है। उसके लिए 40 दिन की रिहाई की जरूरत नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने शुक्रवार को सेबी से पूछा कि उसने निवेशकों को नकद पैसा वापस करने के सहारा के दावे की जांच की या नहीं।
जांच की क्या स्थिति है, क्योंकि दस्तावेजों की जांच के बगैर तय नहीं हो सकता कि वास्तविक स्थिति क्या है। निवेशक हैं कि नहीं और पैसा कैसा है।
आयकर विभाग ने भी जब मामले में पक्षकार बनाए जाने की बात करते हुए सहारा समूह पर 10,015 करोड़ की देनदारी की बात कही तो पीठ ने कहा कि विभाग स्वयं में विधायी संस्था है। उसने अब तक इस बारे में क्या कार्रवाई की है। कोर्ट ने विभाग से कहा कि वह हलफनामा दाखिल कर अब तक की गई कार्रवाई और प्रस्तावित कार्रवाई का पूरा ब्योरा पेश करे। हलफनामें में लंबित अपीलों का भी विवरण दे।