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भारत बंद से अर्थव्यवस्था को 18000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान

उद्योग संगठन की ओर से लगाए गए अनुमान के मुताबिक देशभर में हड़ताल से तमाम सेवाएं प्रभावित हुईं जिसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को 16 से 18 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है।

By MMI TeamEdited By: Published: Fri, 02 Sep 2016 05:51 PM (IST)Updated: Fri, 02 Sep 2016 06:09 PM (IST)
भारत बंद से अर्थव्यवस्था को 18000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान

नई दिल्ली। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से देशव्यापी हड़ताल का असर ट्रांस्पोर्ट, मैन्युफैक्चरिंग, बैकिंग समेत तमाम सेवाओं पर दिखा। अर्थव्यवस्था को इस हड़ताल से कुल 16000-18000 करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका है। उद्योग संगठन की ओर से लगाए गए अनुमान के मुताबिक देशभर में हड़ताल से तमाम सेवाएं प्रभावित हुईं जिसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को 16 से 18 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है।इसके अलावा देश के अलग अलग हिस्सों में जनसाधारण का जीवन भी इस हड़ताल से प्रभावित हुआ।
एसोचैम के मुताबिक तमाम सरकारी और निजी सेक्टर स जुड़ी कंपनियों में उत्पादन का कार्य प्रभावित हुआ। साथ ही तैयार माल के ट्रांस्पोर्ट में आई रुकावट इस नुकसान को और बढ़ा सकती है।

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एसोचैम के सेकेट्ररी जनरल डी एस रावत ने कहा कि ट्रेड, ट्रास्पोर्ट और होटल देश की जीडीपी में बड़ा योगदान रखते हैं। साथ ही बैकिंग और वित्तीय सेवाएं देश की जीडीपी में अहम योगदान रखते हैं। ये सभी सेक्टर्स इस हड़ताल से प्रभावित हुए हैं। रावत के मुताबिक सरकार और ट्रेड यूनियन को बातचीत कर कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए। यही इस समस्या का सबसे बेहतर समाधान है।

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रावत के मुताबिक इंडस्ट्री तर्कसंगत मजदूरी और कर्मचारियों के बेहतर जीवन स्तर के खिलाफ नहीं है। लेकिन न्यूनतम मजदूरी का तर्कसंगत होना जरूरी है। साथ ही इन सभी चीजों के कारण अर्थव्यव्था को इतना नुकसान नहीं होना चाहिए।

एसोचैम के मुताबिक हड़ताल की वजह से एक्सपोर्ट भी प्रभावित हुए हैं। बाहर जाने वाले शिपमेंट पर इस हड़ताल का बुरा असर बड़ा है। एसोचैम के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग, बैकिंग और ट्रांस्पोर्ट जैसी सुविधाओं के प्रभावित होने से पूरी सप्लाई चैन पर बुरा असर पड़ता है। ट्रांस्पोर्ट प्रभावित होने से शिपमेंट और एक्सपोर्ट पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।

बैंकिंग सेवाओँ पर असर पड़ने का कारण सरकारी बैंकों के कर्मचारियों का इस हड़ताल में हिस्सा लेना था। हालांकि निजी बैंकों के कामकाज सुचारू रूप से चला है।


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