कर्ज उतारने के लिए जेपी समूह ने बेचे कई प्लांट
'बैंक का बढ़ता जा रहा कर्ज उतारने की बात हो रही थी। पापा ने कहा, हमें अपनी विश्वसनीयता नहीं खोनी है। चाहे इसके लिए प्लांट बेच दो, लेकिन बैंकों के बीच विश्वसनीयता बनी रहनी चाहिए। और हमने वही किया। जयप्रकाश एसोसिएट्स के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन मनोज गौड़ ने यह बात कही।
रचना गुप्ता, शिमला। 'बैंक का बढ़ता जा रहा कर्ज उतारने की बात हो रही थी। पापा ने कहा, हमें अपनी विश्वसनीयता नहीं खोनी है। चाहे इसके लिए प्लांट बेच दो, लेकिन बैंकों के बीच विश्वसनीयता बनी रहनी चाहिए। और हमने वही किया। जयप्रकाश एसोसिएट्स के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन मनोज गौड़ ने यह बात कही।
वह इससे आहत हुए बगैर शुक्रवार को मध्यप्रदेश के बेला और सीधी के दो बड़े प्रोजेक्ट आदित्य बिड़ला समूह को जिस वक्त बिक रहे थे, वह शिमला में दैनिक जागरण से कंपनी के बड़े फैसलों की पृष्ठभूमि साझा कर रहे थे।
बगल में बैठे कंपनी के एमडी सुरेन जैन के साथ से अखबार उठाया। पहले पेज पर बजाज समूह के विज्ञापन में लिखी पंक्तियों को पढ़कर उम्मीद बांधने का प्रयास किया कि जैसे बजाज ने कर्ज उतार कर नई शुरुआत की, वैसा ही जेपी भी करेगी।
जेपी समूह अब तक बैंकों का 21 हजार करोड़ रुपये का कर्ज उतार चुका है। बकाया 45 हजार करोड़ बिना कोई और प्लांट बेचे चुकता करेगी। इसके बाद फिर से नई परियोजनाओं के साथ अलग शुरुआत होगी। इनमें हाइड्रो पावर और सीमेंट प्लांट प्रमुख होंगे।
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के कडछम-वांगतु और बसपा पन बिजली प्रोजेक्टों को भी जेपी ने लगभग बेच दिया है। बस औपचारिकताएं चल रही है। यहां परियोजना में कर्मचारियों ने नियमितीकरण के लिए आंदोलन तेज किया है। माहौल तनावपूर्ण है। इसी सिलसिले में मनोज गौड़ अपने अधिकारियों के साथ राज्य सरकार से बात करने आए हैं।
मनोज कहते हैं, 'इनके अलावा हम कोई और प्रोजेक्ट बेच भी नहीं रहे हैं। इससे बैंक की देनदारियों को निपटाया जाएगा। हमारे इस प्रयास को रिजर्व बैंक के शीर्षस्थ अधिकारियों ने भी सराहा है।Ó पिछले 4-5 सालों में देशभर में कोई भी नया प्रोजेक्ट नहीं आया है। यही कारण रहा कि परियोजना विस्तार के विकल्प नहीं मिले। अब परिस्थितियां बदली हैं। बेहतरी की उम्मीद है।
बकौल मनोज, 'मुझे मदर इंडिया की फिल्म से बहुत प्रेरणा मिलती है। जैसे आग लगने के बाद फिर मैदान में खेत खलिहान लहलहाते हैं, जेपी की राह भी नहीं रुकेगी। हिमाचल में भी हम दोबारा सीमेंट व हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाएंगे। अब जो भी प्लांट जेपी लगाएगा, वह बिना उधार के लगेगा। वह मानते हैं कि आदित्य बिड़ला गु्रप के साथ शुक्रवार को बिक्री के कागज फाइनल हो गए, लेकिन सुकून है कि हमारी विश्वसनीयता बनी रही। हिमाचल में जेपी का 12 हजार करोड़ का निवेश था।
समूह ने बेचे ये प्रोजेक्ट
अभी तक देशभर में जिन बड़े प्रोजेक्टों को जेपी ने बेचा है, उनमें गुजरात सीमेंट प्लांट (4,000 करोड़), झारखंड के बोकारो (950 करोड़), हिमाचल में पावर प्लांट कड़छम वांगतु (9,400 करोड़), मध्यप्रदेश के बेला व सीधी क्रमश: 5,400 करोड़ व 1,600 करोड़ शामिल है।