सिन्हा ने की ब्याज दरों में कटौती की वकालत
वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने रिजर्व बैंक की ओर से नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि केंद्रीय बैंक को मौद्रिक नीति पर फैसला करते हुए महंगाई में नरमी सहित विभिन्न कारकों को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने पूंजी और मैन्यूफैक्चरिंग की लागत
नई दिल्ली। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने रिजर्व बैंक की ओर से नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि केंद्रीय बैंक को मौद्रिक नीति पर फैसला करते हुए महंगाई में नरमी सहित विभिन्न कारकों को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने पूंजी और मैन्यूफैक्चरिंग की लागत घटाकर भारतीय निर्यात को भी प्रतिस्पर्धी बनाने की जरूरत पर बल दिया है।
सिन्हा बोले कि देश की आर्थिक वृद्धि दर क्षमता से कम है। मौद्रिक नीति तय करते हुए निश्चित तौर पर आरबीआइ थोक मुद्रास्फीति के शून्य से नीचे के स्तर और निम्न सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को ध्यान में रखेगा। रिजर्व बैंक 29 सितंबर को चालू वित्त वर्ष के लिए द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा। उद्योग की ओर से ग्रोथ को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत दरों में कटौती की मांग की जा रही है, जो 2015-16 की पहली तिमाही में घटकर सात फीसद रह गई।
सिन्हा ने कहा कि आरबीआइ के समक्ष कुछ विरोधाभासी आंकड़े हैं। थोक मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति शून्य से नीचे है। जीडीपी डिफ्लेटर शून्य पर है। लेकिन खुदरा महंगाई दर बढ़ती दिख रही है। यह बढ़कर 5-6 फीसद पर आ गई है, जो जुलाई में 3.78 फीसद पर थी। इन सबके साथ ग्लोबल बाजारों में उतार-चढ़ाव है। आर्थिक वृद्धि क्षमता के अनुरूप नहीं है।
ये ऐसे कारक हैं जिन पर आरबीआइ को मौद्रिक नीति पर निर्णय लेते हुए ध्यान रखना चाहिए। निर्यात में गिरावट का हवाला देते हुए सिन्हा ने कहा कि पूंजी और मैन्यूफैक्चरिंग लागत घटाकर भारतीय निर्यात को और प्रतिस्पर्धी बनाने की जरूरत है।