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सेंसेक्स चढ़ेगा, लेकिन धीमी रफ्तार से

सेंसेक्स हालिया गिरावट से उबरकर इस साल रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच तो सकता है, लेकिन इस मामले में विश्लेषक उस कदर उत्साहित नहीं हैं जितना तीन महीने पहले थे। एक सर्वे रिपोर्ट में ऐसी स्थिति सामने आई है।

By Edited By: Published: Tue, 31 Mar 2015 07:00 PM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2015 08:12 PM (IST)
सेंसेक्स चढ़ेगा, लेकिन धीमी रफ्तार से

मुंबई। सेंसेक्स हालिया गिरावट से उबरकर इस साल रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच तो सकता है, लेकिन इस मामले में विश्लेषक उस कदर उत्साहित नहीं हैं जितना तीन महीने पहले थे। एक सर्वे रिपोर्ट में ऐसी स्थिति सामने आई है।

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पिछले सप्ताह सेंसेक्स गिरकर 10 हफ्तों के निचले स्तर पर आ गया था। इसके बाद सोमवार को 517 अंकों का उछाल आया और मंगलवार की ट्रेडिंग शुरुआती तेजी के बावजूद मामूली गिरावट पर बंद हुई। बहरहाल, सर्वे में शामिल 21 विश्लेषकों का मानना है कि साल के मध्य तक सेंसेक्स 29,500 के स्तर पर और दिसंबर के अंत तक 32,000 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है।

दिसंबर के सर्वे में विश्लेषकों ने अनुमान लगाया था कि साल के मध्य तक सेंसेक्स 30,000 के स्तर पर पहुंच जाएगा। तब यह आशंका भी जताई गई थी कि कंपनियों की आय उम्मीद से कम रह सकती है। साल के अंत तक सेंसेक्स में 14 प्रतिशत बढ़त की उम्मीद जताई गई, लेकिन दिसंबर के सर्वे में इससे ज्यादा तेजी का अनुमान लगाया गया था।

साल के अंत सुधरेंगे हालात

केयर रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा कि साल के अंत तक कंपनियों की आय में सुधार होगा। मतलब यह है कि अक्टूबर-दिसंबर पहली तिमाही होगी, जब इस मामले में रिकवरी नजर आएगी। लेकिन, यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह बड़ा जोखिम साबित होगा।

जीएसटी, लैंड बिल बड़े मसले

विश्लेषषकों का मानना है कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) व जमीन अधिग्रहण सुधार लागू होना शेयर बाजार के लिए अन्य बड़े ट्रिगर साबित होंगे। जीएसटी की बदौलत पहली बार एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था सिंगल मार्केट में तब्दील हो जाएगी। टैक्स के मसले सरल हो जाएंगे और बिजनेस करना आसान हो जाएगा। इसी तरह जमीन अधिग्रहण बिल के कानून बन जाने से कारोबार के लिए जमीन खरीदना आसान हो जाएगा, लेकिन इस पर किसानों को ऐतराज है।

सबसे ब़़डा बाहरी जोखिम

अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाए जाने के समय को लेकर अनिश्चितता सेंसेक्स के लिए सबसे बड़ा बाहरी जोखिम है। वॉल स्ट्रीट के प्राइमरी बैंकों के नवीनतम सर्वेक्षण में कहा गया है कि फेडरल रिजर्व जून में नहीं, बल्कि सितंबर में ब्याज दरें बढ़ाएगा।

साल की बढ़त पर फिरा पानी

पिछले साल भारतीय शेयरों की तेजी रूस व ब्राजील जैसे प्रतिस्पर्धी बाजारों के मुकाबले ज्यादा रही थी। लेकिन, हाल में बाजार का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, बल्कि जनवरी से लेकर अब तक की ज्यादातर बढ़त पर पानी फिर गया है। भारतीय बाजार में लंबे समय तक चले हालिया उछाल में विदेशी निवेशकों की अहम भूमिका रही थी। ऐसे निवेशकों ने साल 2014 के दौरान भारतीय शेयर बाजार में 16.1 अरब डॉलर निवेश किया था, जबकि इस साल अब तक इन्होंने 5.8 अरब डॉलर के दांव लगाए। लेकिन, हाल के हफ्तों में विदेशी निवेशकों ने बिकवाली शुरू कर दी, जो चिंता का विषषय है।

कंपनियों की आय पर रहे निगाह

कार्वी ब्रोकर्स के रिसर्च एनालिस्ट चिराग सोलंकी ने कहा कि लंबे समय से करेक्शन की आशंका थी, क्योंकि पिछले साल बाजार में लगातार तेजी दर्ज की गई थी। हम मौजूदा स्तर से लंबी अवधि का दांव लगा सकते हैं। इस मामले में केवल कंपनियों की आय पर नजर रखने की जरूरत होगी।

पढ़ेंः बाजार में तेजी पर ब्रेक


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