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घरेलू ग्रोथ रेट घटने के बाद चीन की चिंता गहराई, 586 अंक गिरा सेंसेक्स

शेयर बाजार में मंगलवार को भारी गिरावट दर्ज की गई। अर्थव्यवस्था से जुड़े कमजोर आंक़़डे जारी होने और प्रतिकूल ग्लोबल संकेतों की वजह से सेंसेक्स में 586 अंकों से ज्यादा गिरावट आई। निफ्टी भी 185 अंक से अधिक टूटा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 10:17 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 07:05 PM (IST)
घरेलू ग्रोथ रेट घटने के बाद चीन की चिंता गहराई, 586 अंक गिरा सेंसेक्स

मुंबई/नई दिल्ली/लंदन। शेयर बाजार में मंगलवार को भारी गिरावट दर्ज की गई। अर्थव्यवस्था से जुड़े कमजोर आंक़़डे जारी होने और प्रतिकूल ग्लोबल संकेतों की वजह से सेंसेक्स में 586 अंकों से ज्यादा गिरावट आई। निफ्टी भी 185 अंक से अधिक टूटा।

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नवीनतम आंकडों के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर घटकर 7 प्रतिशत रह गई, जो जनवरी-मार्च तिमाही में 7.5 प्रतिशत थी। बैंकिंग, मेटल, रियल्टी, कैपिटल गुड्स और ऑटो कंपनियों के शेयरों में सबसे ज्यादा बिकवाली हुई। यही कारण रहा कि सेंसेक्स 586.65 अंक यानी 2.23 फीसदी गिरावट के साथ 25,696.44 पर बंद हुआ। निफ्टी 185.45 अंक या 2.33 फीसदी गिरकर 7,785.85 के स्तर पर रहा।

बैंकिंग शेयर सबसे ज्यादा गिरे बीएसई के सभी सेक्टोरल इंडेक्स गिरावट पर बंद हुए। बैंकिंग, मेटल, रियल्टी, कैपिटल गुड्स, ऑटो, कंज्यूमर ड्युरेबल्स, तेल-गैस और पावर इंडेक्स में सबसे ज्यादा 3.6-2.1 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। बैंक निफ्टी 3.6 फीसदी टूटकर अक्टूबर, 2014 के बाद सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ।

सीएनएक्स पीएसयू बैंक इंडेक्स करीब 4.5 फीसदी गिर गया। पीएनबी में 7 फीसदी गिरावट पीएनबी, बैंक ऑफ ब़़डौदा, कोटक महिंद्रा बैंक, एक्सिस बैंक, हिंडाल्को, टाटा स्टील, बीएचईएल और वेदांता में सबसे ज्यादा 7-3.8 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स के 30 में से 29 शेयर और निफ्टी के 50 में से 45 शेयर बिकवाली के शिकार हुए।

लेकिन, बजाज ऑटो, सन फार्मा और अंबुजा सीमेंट जैसे शेयरों की ट्रेडिंग 0.8-0.2 फीसदी ब़़ढत पर बंद हुई। गिरावट के ठोस कारण कमजोर ग्लोबल संकेत दुनियाभर के शेयर और कमोडिटी मार्केट में भारी गिरावट आई। कारण यह रहा कि चीन में अर्थव्यवस्था से जुडे कमजोर आंकड़े जारी होने के कारण वहां की आर्थिक सेहत को लेकर चिंता गहरा गई है।

ग्लोबल मार्केट में कुछ दिन की शांति एकाएक हवा हो गई, जब एक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया कि चीन का विशाल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के सिमटने की रफ्तार पिछले तीन साल में सबसे अधिक हो गई है। वहां का सर्विस सेक्टर भी दिनोंदिन सुस्त पडता जा रहा है। सुस्त घरेलू मैन्युफैक्चरिंग नए ऑर्डर में कमी की वजह से अगस्त में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ धीमी रही।

निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई [मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के निष्पादन का एक समग्र मासिक संकेतक] अगस्त में 52.3 रहा जो जुलाई के छह माह के सबसे ऊंचे स्तर 52.7 से नीचे है। इससे संकेत मिलता है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ धीमी हो गई है।

सर्वे रिपोर्ट तैयार करने वाली संस्था की अर्थशास्त्री पॉलीयाना डे लिमा ने कहा, 'घरेलू और विदेशी मांग में सुधार मामूली रहने की वजह से भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में उत्पादन कमजोर रहा। कमजोर आर्थिक आंक़़डे नवीनतम आंकडों के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर घटकर 7 प्रतिशत रह गई, जो जनवरी-मार्च तिमाही में 7.5 प्रतिशत थी।

मुख्य रूप से कृषि, सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मंदी के कारण विकास दर कम हुई। इस वजह से निवेशकों के जेहन में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर आकषर्षण कम हो गया और वे बाजार से पैसा निकालने लगे।


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