ग्रीस संकट से आया भूचाल, सेंसेक्स 500 अंकों से ज्यादा लुढ़का
ग्रीस संकट का असर भारतीय शेयर बाजारों में दिखने लगा है। बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 466 अंकों की गिरावट के साथ 27344 के स्तर पर कारोबार कर रहा है जो कि 1.68 फीसद की गिरावट है। वहीं, एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 141
मुंबई। ग्रीस संकट का असर भारतीय शेयर बाजारों में दिखने लगा है। फिलहाल बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 564 अंकों की गिरावट के साथ 27229 के स्तर पर कारोबार कर रहा है जो कि 2.06 फीसद की गिरावट है। वहीं, एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 170 अंकों की कमजोरी के साथ 8210 के स्तर पर कारोबार कर रहा है जोकि 2.05 फीसद की गिरावट है। वहीं, मिडकैप शेयरों में 2.44 फीसद और स्मॉलकैप शेयरों में 2.67 फीसद की भारी गिरावट के साथ कारोबार हो रहा है। ग्रीस संकट पर वित्त सचिव राजीव मेहर्षि ने कहा है कि इस संकट का भारत पर सीधे तौर पर कोई असर नहीं होगा, लेकिन इसके यूरो पर पड़ने वाले असर से अपरोक्ष रूप से जरूर हम प्रभावित होंगे।
सेक्टोरियल आधार पर देखें तो सारे ही सेक्टर गिरावट के लाल निशान में नजर आ रहे हैं। बाजार को गिरावट को पीएसयू बैंक लीड कर रहे हैं और बैंकिंग सेक्टर 3.5 फीसद नीचे बना हुआ है। फाइनेंस, मीडिया, फार्मा, ऑटो और मेटल शेयरों में 2 से 2.5 फीसद तक की गिरावट दर्ज की जा रही है। इंफ्रा, आईटी और एफएमसीजी सेक्टर भी जोरदार गिरावट दिखा रहे हैं।
दिग्गज शेयरों में बीपीसीएल को छोड़कर बाकी सारे शेयर लाल निशान में नजर आ रहे हैं। बीपीसीएल 1.64 फीसद की तेजी दिखा पा रहा है। गिरने वाले दिग्गज शेयरों में बैंक ऑफ बड़ौदा 3.67 फीसद नीचे है और टाटा मोटर्स 3.45 फीसद कमजोर है। एसबीआई में 3.34 फीसद की गिरावट देखी जा रही है। पीएनबी में 3 फीसद की सुस्ती के साथ कारोबार हो रहा है। आईसीआईसीआई बैंक और हिंडाल्को 2.82 फीसद की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं।
मिडकैप शेयरों में रेलिगेयर एंटरप्राइजेज, केपीआईटी टेक, सीसीएल इंटरनेशन, लक्ष्मी मशीन और जेके सीमेंट 4.99-0.11 फीसद की तेजी के साथ कारोबार कर रहे हैं। वहीं दिग्ग्ज गिरने वाले शेयरों में श्रेई इंफ्रा, कॉक्स एंड किंग्स, एचएमटी, इंडियाबुल्स रियल और पीटीसी इंडिया फाइनेंशियल 6.49-5.85 फीसद की गिरावट दिखा रहे हैं।
बढ़ता जा रहा है ग्रीस का संकट
भारी कर्जों के बोझ तले दबे देश ग्रीस के यूरो जोन में बने रहने की कोशिशें नाकाम नजर आ रही हैं। यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने कल ग्रीस में इमरजेंसी फंडिंग बढ़ाने के लिए इनकार कर दिया है। इमरजेंसी फंडिंग फिलहाल मौजूदा स्तरों पर ही रहेगी। इसके अलावा ग्रीस में बैंक 6 जुलाई तक बंद रहेंगे। फिलहाल ऑनलाइन बैंकिंग पर कोई पाबंदी नहीं लगाई है लेकिन फॉरेन ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई है। गौरतलब है कि मंगलवार को ग्रीस की आईएमएफ को करीब 1.5 अरब यूरो चुकाने की डेडलाइन है। अब सारी नजर 5 जुलाई पर है जहां ग्रीस के प्रधानमंत्री जनमत संग्रह का ऐलान करेंगे।
ग्रीस में संकट से वैश्विक बाजारों में गिरावट का माहौल देखने को मिल रहा है। जापान का बाजार निक्केई करीब 2 फीसद तक टूट गया है। वहीं डॉलर के मुकाबले यूरो एक महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय बाजारों में भी 2 फीसद की भारी गिरावट देखने को मिल रही है।
क्या है ग्रीस संकट
ग्रीस के डिफॉल्ट होने की नींव 1999 में यहां आए विनाशकारी भूकंप को भी कहा जा सकता है। इस भूकंप में देश का ज्यादातर हिस्सा तबाह हो गया था और लगभग 50,000 इमारतों का पुनर्निर्माण करना पड़ा था। यह सारा काम सरकारी धन खर्च करके किया गया।
यूरो जोन से जुड़ना भी ग्रीस की भारी भूल मानी जा रही है। हालांकि ग्रीस यूरो जोन से जुड़ने वाला पहला देश नहीं था, लेकिन उसने 2001 में ऐसा किया। यूरो जोन में आने से उसे कर्ज मिलने में आसानी होने वाली थी। लेकिन उसका यह फैसला उसके लिए भारी पड़ता दिख रहा है।
2004 के ओलिंपिक खेलों के लिए ग्रीस ने यूरो जोन से बड़ी मात्रा में कर्ज लिया था। माना जाता है कि सरकार ने ओलिंपिक के सफल आयोजन के लिए अनापशनाप खर्च किया, जिसके कारण मौजूदा संकट पैदा हुआ है। ओलिंपिक के लिए सिर्फ सात साल के दौरान ही लगभग 12 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च किए गए।
ग्रीस का राजकोषीय घाटा बहुत ज्यादा बढ़ गया था, लेकिन तत्कालीन सरकार ने खातों में हेराफेरी करके आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया था। 2009 में सत्ता में आयी नई सरकार ने इसका खुलासा किया। उस समय ग्रीस पर उसकी जीडीपी की तुलना में 113 फीसद कर्ज था और यह यूरो जोन में सबसे ज्यादा था। एथेंस ओलिंपिक के समापन के कुछ महीनों के भीतर ही यूरो जोन को यह सच्चाई मालूम चल गई कि ग्रीस सरकार ने अपने खातों में हेरफेर की थी। यूरो जोन के सदस्यों को 2004 से ही उस पर शक था।
आंकड़ों में हेराफेरी की बात सामने आने के कारण ग्रीस पर भरोसे का संकट पैदा हो गया, इसके चलते इस संकटग्रस्त देश को कर्ज देने वाले देशों की संख्या काफी कम हो गई। इस दौरान यहां ब्याज दरें 30 फीसद के स्तर पर पहुंच गई।
मई 2010 में यूरो जोन, यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ग्रीस को डिफॉल्ट से बचाने के लिए 10 अरब यूरो का राहत पैकेज दिया। यही नहीं जून 2013 तक उसकी वित्तीय जरूरतें भी पूरी कीं। ग्रीस के सामने सुधारों को लागू करने की शर्तें भी रखी गई थीं।
सख्त आर्थिक सुधारों को देखते हुए उसे दूसरा राहत पैकेज दिया गया। ग्रीस को दूसरे मौके में 130 अरब यूरो का पैकेज दिया गया। इसके साथ भी सुधारों की शर्तें जुड़ी हुई थीं।
भारी सुस्ती और राहत पैकेज की शर्तों को लागू करने में देरी के कारण दिसंबर, 2012 में ऋणदाता आखिरी चरण में कर्ज राहत देने को राजी हो गए। आईएमएफ ने भी उसे सहयोग दिया और जनवरी 2015 से मार्च 2016 तक ग्रीस को 8.2 अरब यूरो का कर्ज सहयोग मिला।
अभी ग्रीस की अर्थव्यवस्था कुछ रफ्तार पकड़ ही रही थी कि संसदीय चुनाव के बाद वामपंथी सिरिजा पार्टी इन वादों के साथ सत्ता में आ गई कि सरकार बनते ही बेलआउट की शर्तों को ठुकरा दिया जाएगा। इससे जनता की मुश्किलें और बढ़ गईं।
यूरो जोन के देशों ने एक बार फिर ग्रीस को राहत देते हुए टेक्निकल एक्सटेंशन दिया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। ग्रीस के सामने फिर से नई मुसीबत है और भारत समेत सभी देश ग्रीस के संकट से उबरने की दुआ कर रहे है।
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट
वहीं, डॉलर के मुकाबले रुपये की शुरुआत कमजोरी के साथ हुई है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 17 पैसे प्रति डॉलर की कमजोरी के साथ 63.81 पर खुला है। हालांकि शुक्रवार को रुपया 63.64 पर बंद हुआ था। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रीस संकट के कारण डॉलर की मांग बढ़ी है, जिसका असर रुपया पर देखने को मिल रहा है।