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सेंसेक्स में 484 अंकों की गिरावट के साथ बंद, चीन की वजह से सेंसेक्स धड़ाम

भारतीय शेयर बाजारों की शुरुआत आज गिरावट के साथ हुई और सेंसेक्स 484 अंक गिरकर 27687 के स्तर पर बंद हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के बाजारों में गिरावट के कारण बाजार पर दबाव है।चीन के बाजारों का संकट आज भारतीय बाजारों पर भी कहर बनकर गिरा

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2015 10:33 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2015 04:30 PM (IST)
सेंसेक्स में 484 अंकों की गिरावट के साथ बंद, चीन की वजह से सेंसेक्स धड़ाम

मुंबई। भारतीय शेयर बाजारों की शुरुआत आज गिरावट के साथ हुई और सेंसेक्स 484 अंक गिरकर 27687 के स्तर पर बंद हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के बाजारों में गिरावट के कारण बाजार पर दबाव है।

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चीन के बाजारों का संकट आज भारतीय बाजारों पर भी कहर बनकर गिरा है। सेंसेक्स में आज 500 अंकों से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली, तो निफ्टी ने 8400 का अहम स्तर तोड़ दिया। सेंसेक्स ने आज 27635.72 का निचला स्तर बनाया, तो निफ्टी 8341.40 तक लुढ़क गया। अंत में सेंसेक्स और निफ्टी 1.75 फीसदी तक गिरकर बंद हुए हैं।

बाजार के सारे सेक्टर लाल निशान में नजर आए। मेटल, पीएसयू बैंक, रियल्टी, इंफ्रा, फाइनेंस, मीडिया में 1.6-2 फीसद की गिरावट देखी जा रही है। एनर्जी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और आईटी शेयर भी अच्छी गिरावट दिखा रहे हैं।

चीन के बाजारों में भूचाल, ट्रेडिंग रुकी, निवेशकों के 201.6 लाख करोड़ रुपए डूबे


चीन के कैपिटल मार्केट में भारी गिरावट के बाद शेयर बाजार में ट्रेडिंग रोक दी गई है। चीन के शेयर बाजार रेग्युलेटर सीएसआरसी (चाइना सिक्योरिटीज रेग्युलेटरी कमीशन) के मुताबिक बाजार में डर का माहौल बन चुका है, जिसके कारण वहां ट्रेडिंग को रोक दिया गया है। इस तूफान में चीन के जीडीपी के 50 फीसद के बराबर का मार्केट कैप साफ हो गया है। दरअसल, मार्जिन ट्रेडिंग पर नियंत्रण की कोशिश के बाद चीन के बाजारों में गिरावट शुरू हुई है। चीन में पिछले साल भर में मार्जिन फंडिंग 3 गुना बढ़ी है। चीन में मार्जिन फंडिंग मार्केट कैप के 9 फीसद तक पहुंच गई है, जबकि 2007 के मुकाबले चीन के बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम 10 गुना हो गए हैं। आज सुबह बाजार में खुलते ही 8 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली थी। बीते एक हफ्ते में आई गिरावट से रिटेल इनवेस्टर्स को 3.2 लाख करोड़ डॉलर (201.6 लाख करोड़ रुपए) की चपत लग चुकी है। हालांकि रेग्युलेटर ने आपातकालीन कदम उठाए है, लेकिन कोई असर नहीं दिख रहा। उधर, कमोडिटी बाजारों में भी बुरा हाल है। कॉपर और निकेल 6 साल के निचले स्तर पर पहुंच गए है। इस गिरावट की सबसे बड़ी मार कमोडिटी बाजार पर पड़ी है। सोना-चांदी, क्रूड और बेस मेटल्स में भारी बिकवाली है। क्योंकि चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और सोने-चांदी, क्रूड का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। इसीलिए कमोडिटी में बड़ी बिकवाली है।

चीन के बाजारों में गिरावट के ये हैं कारण
जिन इनवेस्टर्स ने उधार के पैसों से चीन के मार्केट पर बड़ा दांव लगाया था, वे तेजी के अपने सौदे काट रहे हैं। दरअसल, अथॉरिटीज मार्जिन फाइनेंसिंग के नियमों को सख्त बना रही हैं जिनमें उधार के पैसों से शेयरों की खरीदारी भी शामिल है। बुधवार की सुबह भी चीन के रेग्युलेटर ने फिर से फ्यूचर्स में मार्जिन कॉल्स बढ़ा दिया है। इसके अलावा इन कदमों में आईपीओ पर रोक और बाजार को समर्थन प्रदान करने के लिए केंद्रीय बैंक की तरफ से नकदी मुहैया कराया जाना शामिल है। साथ ही इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में चीन के ए शेयरों को शामिल नहीं करने के एमएससीआई के फैसले के चलते भी निवेशक बिदक रहे हैं।

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