ब्रेक्सिट की आंधी में ढहे बाजार, सेंसेक्स ने लगाया 605 अंक का गोता
सेंसेक्स 604.51 अंकों की गिरावट के साथ 26397.71 अंक पर तथा एनएनसी का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 181.85 अंकों की गिरावट के साथ 8,088.60 अंकों पर बंद हुअा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जिस बात की आशंका थी वही हुआ और सरकार व नियामक एजेंसियों की सारी तैयारी धरी की धरी रह गई। शुक्रवार को तड़के जैसे ही यह साफ हुआ कि ब्रिटेन की जनता ने यूरोपीय संघ से बाहर निकलने का फैसला किया है, दुनिया के तमाम वित्तीय बाजारों पर असर पड़ना तय हो गया था। सरकार व नियामक एजेंसी की सारी तैयारी भी भारतीय शेयर बाजार, मुद्रा बाजार, बांड्स बाजार को ब्रेक्सिट की आंधी से नहीं बचा पाई।
शेयर बाजारं एक समय 1100 अंकों की गुलाटी मार चुका था लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली और आरबीआइ गवर्नर डॉ. रघुराम राजन की तरफ से मीडिया के जरिए बाजार को सांत्वना देने के बाद हालात में सुधार हुआ। कारोबार समाप्त होने तक मुंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक 605 अंकों की गिरावट के साथ 27,371.91 अंकों पर आ चुका था। बाजार में निवेशको की 1.76 करोड़ रुपये की राशि डूब गई।मुद्रा बाजार:मुद्रा बाजार की कमोवेश यही स्थिति रही। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाउंड स्टर्लिग में भारी गिरावट की वजह से भारतीय रुपये में इसकी कीमत घटी है।
आज बाजार बंद होने के समय 93.13 रुपये का एक पाउंड था जबकि गुरुवार को यह 100.20 के स्तर पर बंद हुआ था। हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति बिल्कुल अलग रही। कारोबारी दिन के दौरान एक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 68 से भी नीचे आ गई थी लेकिन आरबीआइ गवर्नर के सामने आने के बाद रुपया थोड़ा मजबूत हुआ। यह 67.97 के स्तर पर बंद हुआ है। कल के मुकाबले यह 71 पैसे कमजोर हुआ है। लेकिन डॉलर के मुकाबले पाउंड स्टर्लिग पिछले 31 वर्षो के सबसे बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ है।
कमोडिटी बाजार
ब्रेक्सिट का असर शेयर व मुद्रा बाजार के अलावा देश के समूचे कमोडिटी बाजार पर भी दिखाई दिया है। दरअसल, कई वैश्विक जानकारों ने यह कहा है कि ईयू से ब्रिटेन के निकलने से जो माहौल बनेगा वह वैश्विक मंदी को और गहरा सकता है। इसका असर तांबा, स्टील, निकेल, जिंक बाजार पर भी दिखाई दिया है। मंदी बढ़ने की आशंका से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत भी आज दो डॉलर प्रति बैरल तक कम हुई है।जानकारों के मुताबिक भारत के वित्तीय बाजार आने वाले दिनों में वैसा ही व्यवहार करेंगे जैसा कि वैश्विक बाजार करेंगे। वैसे भी शुक्रवार को भारतीय वित्तीय बाजारों ने एशिया और यूरोप के अन्य वित्तीय बाजारों की तुलना में कम उठा पटक देखी है।
जापान का प्रमुख शेयर बाजार का सूचकांक निक्केई में 7.92 फीसद, हांक कांग के सूचकांक हांग सेंग में 2.9 फीसद और लंदन का सबसे बड़ा एफटीएसई सूचकांक 9 फीसद गिरावट के साथ बंद हुआ है। भारतीय बाजार में आगे कैसा रुख रहेगा, इस बारे में जानकार अभी साफ तौर पर कुछ कहने से बच रहे हैं। वैसे सरकार से लेकर तमाम अर्थशास्त्री भारतीय अर्थव्यवस्था के आधारभूत तत्वों के मजबूत होने की बात कर रहे हैं लेकिन बहुत कुछ इस बात पर भी तय होगा कि दुनिया की बेहद अर्थव्यवस्था मसलन, चीन, अमेरिका व यूरोपीय संघ से किस तरह के संकेत आते हैं। वैसे ज्यादातर जानकार यह मान रहे हैं कि भारत में मंदी व अस्थिरता का यह माहौल बहुत ज्यादा समय तक नहीं चलेगा।
सरकार का बयान ब्रेक्सिट से घबराने की जरूरत नहीं
ब्रेक्सिट की आशंका से भारी बिकवाली के बाद वित्त सचिव अंजुले दुग्गल ने बयान जारी कर निवेशकों को भरोसा जताया है कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। दुग्गल ने कहा है कि हमें यूरोपीय यूनियन जनमत संग्रह से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे भारत को ज्यादा नुकसान नहीं होगाष और सरकार और रिज़र्व बैंक इससे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
आर्थिक जानकारों का भी कहना है कि चूंकि यह पहले से प्रत्याशित था इसलिए सरकार, वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ने इससे निपटने के लिए पूरी तैयारी की है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा ब्रेक्सिट का असर
जानकारों का मानना है कि ब्रेक्सिट होता है तो इसका असर सीधे-सीधे करेंसी पर देखने को मिलेगा। माना जा रहा है कि ब्रेक्सिट हुआ तो ब्रिटिश पाउंड करीब 10 फीसदी तक टूटेगा जिससे भारतीय शेयर बाजार सीधे तौर पर प्रभावित होगा क्योंकि भारत की करीब 800 ब्लूचिप कंपनियां ब्रिटेन में कारोबार कर रही हैं जिनके शेयरों में गिरावट तय मानी जा रही है जिनमें से टाटा प्रमुख है जिसके शेयरों में 11 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है।
भारत का सबसे ज्यादा कारोबार यूरोप के साथ है। सिर्फ ब्रिटेन में 800 भारतीय कंपनियां हैं जिसमें 1 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। साल 2015 में इन्होंने ब्रिटेन में 2 लाख 47 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसके अलावा भारतीय आईटी सेक्टर की 6 से 18 फीसदी कमाई ब्रिटेन से ही होती है साथ ही ब्रिटेन के रास्ते भारतीय कंपनियों की यूरोप के इन 28 देशों के 50 करोड़ लोगों तक पहुंचती है। अगर ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन से बाहर निकला तो यह आसान पहुंच बंद हो जाएगी.।
दुनियाभर के बाजारों में ब्रेक्सिट का डर
दुनियाभर के बाजारों में ब्रेक्सिट को लेकर हलचल मची हुई है। अमेरिका बाजारों की बात करें तो अमेरिकी बाजारों में ब्रेक्सिट को लेकर मिला जुला असर देखने को मिला है। यूएस फ्यूचर्स में 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। हालांकि कल के कारोबार में अमेरिकी बाजार चढ़कर बंद होने में सफल रहे हैं। लेकिन यूरोपीय अमेरिकी बाजार के फ्यूचर्स में तेज गिरावट देखने को मिली है।
गुरुवार के कारोबारी सत्र में डाओ जोंस 230.24 अंक यानी 1.29 फीसदी बढ़कर 18011.07 पर, एसएंडपी-500 इंडेक्स 27.87 अंक यानी 1.34 फीसदी मजबूती के साथ 2113.32 पर और नैस्डेक 76.72 अंक यानी 1.59 फीसदी की बढ़त के साथ 4910.04 पर बंद हुआ।
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