सेबी ने किया नियंत्रण की सीमा तय करने का प्रस्ताव
एमएंडए के चलते नियंत्रण में बदलाव के मामले में स्पष्टता लाने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने कदम उठाया है।
नई दिल्ली। विलय एवं अधिग्रहण (एमएंडए) के चलते नियंत्रण में बदलाव के मामले में स्पष्टता लाने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने कदम उठाया है। नियंत्रण को तय करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 25 फीसद के मताधिकार की सीमा तय करने का प्रस्ताव किया है।
शनिवार को सेबी बोर्ड की बैठक में कंट्रोल यानी नियंत्रण को परिभाषित करने के लिए सार्वजनिक चर्चा का मसौदा जारी करने का भी फैसला लिया गया।
कुछ लिस्टेड कंपनियों में नियंत्रण या स्वामित्व को लेकर अस्पष्टता व चिंताओं को देखते हुए बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके अलावा सेबी रेगुलेशन के तहत नियंत्रण का अधिग्रहण तय करने के लिए कंसल्टेशन प्रक्रिया भी शुरू करने की भी अनुमति दी गई।
कई मामलों में अधिग्रहण के बाद कंपनी का नियंत्रण किसके हाथ में रहेगा, इसको लेकर काफी विवाद रहा। जेट एयरवेज और एतिहाद के मामले के बाद नियंत्रण को निर्धारित करने के लिए दिशानिर्देश लाने की मांग उठी थी।
निलंबित कंपनियां होंगी डिलिस्ट
एक बड़े सफाई अभियान के तहत सेबी के बोर्ड ने स्टॉक एक्सचेंजों से निलंबित कंपनियों की डिलिस्टिंग को बढ़ावा देने का निर्णय किया है। पिछले साल बीएसई ने 1,000 से ज्यादा कंपनियों की सूचीबद्धता खत्म करने यानी डिलिस्टिंग का प्रस्ताव किया था। कई दंडात्मक कार्रवाइयों के चलते इन कंपनियों के शेयरों में कारोबार सात साल से ज्यादा समय से निलंबित है।
मजबूत हो रहे म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) के सामने एक तगड़े प्रतिस्पर्धी के रूप में उभर रहे हैं। चालू वित्त वर्ष 2015-16 के पहले 11 महीनों यानी अप्रैल से फरवरी के बीच म्यूचुअल फंडों ने 75,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। खास बात यह है कि इसी दौरान एफपीआइ ने बाजार से 27,000 करोड़ रुपये निकाले हैं। बीते वित्त वर्ष में म्यूचुअल फंडों की ओर से शेयर बाजार में कुल 72,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था।
नए कमोडिटी उत्पाद होंगे लांच
सेबी ने कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट में कई नए उत्पाद लांच करने और ज्यादा प्रतिभागियों को शामिल करने का भी निर्णय लिया है। इस मामले में नियामक ने नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता में एक सलाहकार समिति भी गठित की है। बीते साल से ही कमोडिटी यानी जिंस बाजार का नियंत्रण सेबी के हाथ में आया है।