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एफडीआइ से बढ़ेगा ग्राहक सेवा का दायरा

अध्यादेश के जरिये ही सही, लेकिन सरकार ने बीमा में एफडीआइ सीमा बढ़ा दी है। क्या मौजूदा कंपनियां विदेशी हिस्सेदारी बढ़ाएंगी? देखिए, सबसे पहले तो हमें यह स्वीकार करना होगा कि जीवन बीमा कारोबार के लिए बहुत अधिक पूंजी चाहिए। दूसरे, अभी देश में इसके विकास की जबरदस्त संभावनाएं हैं।

By Edited By: Published: Mon, 26 Jan 2015 05:52 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jan 2015 05:56 AM (IST)
एफडीआइ से बढ़ेगा ग्राहक सेवा का दायरा

अध्यादेश के जरिये ही सही, लेकिन सरकार ने बीमा में एफडीआइ सीमा बढ़ा दी है। क्या मौजूदा कंपनियां विदेशी हिस्सेदारी बढ़ाएंगी?
देखिए, सबसे पहले तो हमें यह स्वीकार करना होगा कि जीवन बीमा कारोबार के लिए बहुत अधिक पूंजी चाहिए। दूसरे, अभी देश में इसके विकास की जबरदस्त संभावनाएं हैं। हमारा मानना है कि विदेशी पूंजी आने से मौजूदा कंपनियों को अपने कारोबार के विस्तार में फायदा मिलेगा। इससे कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक बीमा कवर के दायरे में शामिल करने में मदद मिलेगी। चूंकि जीवन बीमा लंबे अवधि का निवेश होता है, इसलिए जो विदेशी फंड भारत में आएगा उसे भी लंबे समय तक भारत में रुकना होगा। यह देश के विकास में बेहद मददगार होगा।
क्या इससे बीमा उद्योग को नई तकनीकी लाने में भी मदद मिलेगी?
विदेश से जो पूंजी भारतीय बीमा उद्योग में आएगी, कंपनियां उसका निवेश टेक्नोलाजी अपग्रेड करने में कर सकेंगी। इससे ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिल पाएंगी। आइसीआइसीआइ के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने बीमा उत्पादों को बेचने की चुनौतियों को मात दी है और ग्राहकों को बेहद सुगम प्रक्रिया उपलब्ध कराई है।
बीमा कंपनियों की ऑनलाइन बिक्री भी बढ़ रही है। आपकी क्या योजनाएं हैं?
जीवन बीमा कंपनियों का लक्ष्य अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये लोगों को सहूलियत प्रदान करना है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आज की तारीख में उपभोक्ता भी तकनीकी का काफी इस्तेमाल कर रहा है। वह कोई भी उत्पाद खरीदने से पहले रिसर्च करता है। उत्पादों व सेवाओं का मूल्यांकन करता है। हालांकि यह भी सही है कि ज्यादातर बिक्री ऑफलाइन ही होती है। तीन साल पहले हमने अपना डिजिटल सफर शुरू किया था। आज हमारे सभी उत्पाद ऑनलाइन उपलब्ध हैं। हमारे वितरण नेटवर्क के पास मौजूद टेबलेट न केवल उत्पादों की बिक्री में मददगार होते हैं, बल्कि सर्विस रिक्वेस्ट स्वीकारने में भी मददगार साबित होते हैं। अब तो ग्राहकों के पास अपनी पॉलिसी को डीमैट स्वरूप में रखने की भी सुविधा उपलब्ध है।
शेयर बाजार में तेजी से यूलिप की रिटर्न दर भी बढ़ी है। क्या ग्राहकों का रुझान यूलिप की ओर फिर बढ़ रहा है?
यूलिप का नया अवतार ग्राहकों के लिए ज्यादा उपयोगी है। ये उत्पाद ग्राहकों की इक्विटी बाजार में पहुंच बनाते हैं, जिसमें लंबे समय में ऊंचा रिटर्न पाने की संभावना रहती है। डेट फंड भी 13-14 फीसद का रिटर्न दे रहे हैं। ब्याज दरों के भावी रुख को देखते हुए किसी भी निवेशक के लिए डेट व इक्विटी बाजार में मौजूदगी आदर्श स्थिति होगी। यूलिप ग्राहकों को यह सुविधा देते हैं। ग्राहक अपना असेट आवंटन खुद तय कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर इसमें बदलाव भी कर सकते हैं। यूलिप में लगने वाले शुल्क के ढांचे में भी बदलाव हुआ है। हमारे कुछ उत्पादों पर तो 20 वर्ष की अवधि में एक फीसद से भी कम शुल्क लगता है। इन प्रावधानों के जरिये यह कोशिश की गई है कि निवेशकों को उनके प्रीमियम का पूरा लाभ मिले।
इस साल परंपरागत उत्पादों को बिक्री के लिहाज से कैसा देखते हैं?
ये उत्पाद कई वर्षों से बाजार में उपलब्ध हैं। इस श्रेणी के उत्पादों में भी कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं। मसलन पॉलिसी को सरेंडर करने पर अब कम शुल्क लगता है। पॉलिसी के तहत जो लाभ मिलने हैं उसका एक खाका ग्राहक को उपलब्ध कराया जाता है। ये उत्पाद ऐसे ग्राहकों के अनुकूल होते हैं जो अधिक जोखिम उठाने से हिचकते हैं। साथ ही ऐसे ग्राहक लंबी अवधि तक प्रीमियम भुगतान को लेकर आश्वस्त होते हैं।
संदीप बतरा
एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर
आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस

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