अनापशनाप हवाई किरायों पर भड़का राज्यसभा का गुस्सा
एयरलाइनों द्वारा हवाई किरायों की मनमानी वसूली के मद्देनजर इनकी न्यूनतम व अधिकतम सीमा निर्धारित किए जाने की मांग पर सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने गुरुवार को राज्यसभा से बहिर्गमन किया। अनापशनाप हवाई किरायों का मुद्दा समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए उठाया। इसका
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एयरलाइनों द्वारा हवाई किरायों की मनमानी वसूली के मद्देनजर इनकी न्यूनतम व अधिकतम सीमा निर्धारित किए जाने की मांग पर सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने गुरुवार को राज्यसभा से बहिर्गमन किया। अनापशनाप हवाई किरायों का मुद्दा समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए उठाया। इसका कांग्रेस समेत पक्ष-विपक्ष के तमाम सदस्यों ने समर्थन किया।
जवाब में विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने कहा कि हवाई किरायों का मसला पेचीदा है। ओपन स्काई पॉलिसी और एयरक्राफ्ट रूल 1937 के तहत एयरलाइनें बाजार की स्थितियों, लागत व लाभ के आधार पर किरायों का निर्धारण करती हैं। फिर वेबसाइटों पर उनका ब्योरा प्रदर्शित करती हैं। दुनिया भर में हवाई किरायों का निर्धारण इसी तरह होता है। एडवांस बुकिंग पर किराये काफी कम रहते हैं, जबकि तत्काल बुकिंग पर काफी ज्यादा। सरकार ने 2009 में सर्लकुलर जारी कर सभी शेड्यूल्ड एयरलाइनों के लिए किराया प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया था। वर्ष 2010 से विमानन नियामक (डीजीसीए) ने किरायों की मासिक निगरानी शुरू कर दी है। यदि नियामक को लगता है कि कोई एयरलाइन अत्यधिक किराया वसूल रही है तो वह जवाब-तलब करता है। रिफंड के बारे में भी डीजीसीए के 2008 से नियम हैं, जिनका एयरलाइनों को पालन करना होता है। फिर भी सदन की भावना के मद्देनजर सरकार इस विषय में कुछ और उपायों पर विचार करेगी।
सदस्य मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। अग्रवाल ने कहा 1937 का एयरक्राफ्ट रूल अब अप्रासंगिक हो चुका है। संसद की पर्यटन समिति ने भी हवाई किराया निर्धारण के तरीके को अपारदर्शी माना है और वह विमानन मंत्रलय के तर्को से असंतुष्ट है। अगर इंडियन एयरलाइंस का लखनऊ का जे क्लास का टिकट लें तो 21 हजार किराया है। जेट एयरवेज का टिकट लें तो 26 हजार आएगा। देहरादून का वाई क्लास का लें तो 18 हजार आएगा। इतने में तो दुबई होकर लौट आया जा सकता है। विमान ईंधन (एटीएफ) के दाम कम हुए, मगर किराये बढ़ गए। रिफंड देने में भी एयरलाइनें मनमानी कर रही हैं। एयर इंडिया घाटे में है। मंत्रलय में एक निदेशक ने 40 करोड़ का घोटाला किया, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्हें ओएसडी बना दिया गया। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा जब वह खुद केंद्र में विमानन मंत्री थे, तो उन्होंने एयरलाइनों की मनमानी पर अंकुश लगाया था।