रिजर्व बैंक सोना आयात के दिशा-निर्देश स्पष्ट करे
आगामी लग्नसरा की सराफा बाजारों में छुटपुट मांग बनी हुई है। हाल ही में हुई शीतकालीन वर्षा से रबी फसलों का भविष्य उज्ज्वल होने से आगामी लग्नसरा के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की जोरदार मांग रहेगी। 80:20 की शर्त हटने से अधिक आयात हुआ है और तस्करी आयात घटा है।
इंदौर। आगामी लग्नसरा की सराफा बाजारों में छुटपुट मांग बनी हुई है। हाल ही में हुई शीतकालीन वर्षा से रबी फसलों का भविष्य उज्ज्वल होने से आगामी लग्नसरा के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की जोरदार मांग रहेगी। 80:20 की शर्त हटने से अधिक आयात हुआ है और तस्करी आयात घटा है। रिजर्व बैंक सोने के आयात के दिशा-निर्देश जारी करे।
ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में आगामी लग्नसरा की छुटपुट मांग सराफा बाजारों में चल रही है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व राजस्थान के कई जिलों में कुछ में कम व कुछ में सामान्य से भारी शीतकालीन वर्षा हुई है। इससे रबी फसलों का भविष्य अधिक उज्ज्वल हो गया है। अभी तक कम वर्षा व सूखी जमीन के साथ गर्मी का मौसम होने से बोवनी बराबर नहीं हो पा रही थी।
हाल ही की वर्षा से खेतों में खड़ी फसलों को लाभ होगा, साथ ही संभव है जहां कहीं खेत खाली पड़े हों, वहां किसान वर्ग बोवनी करने की हिम्मत भी जुटा सकते हैं। हाल ही में हुई वर्षा रबी के लिए अमृत के समान है। अब फसल अच्छी उतरेगी, यह आशा रखी जा सकती है। अभी तक रबी की बोवनी के बाद भी फसलों का भविष्य उज्ज्वल नजर नहीं आ रहा था, जिसका सीधा प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक अर्थव्यवस्था पर पड़ता। पिछले दो सीजन में फसलें कमजोर उतरने से पिछले दो-तीन माह में सभी प्रमुख बाजारों में ग्राहकी नदारद रही, उसी का परिणाम है।
रबी की फसलें जोरदार आने पर किसान वर्ग ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से ब्याह-शादी करेंगे, जिससे सराफा बाजारों में भी रौनक लौटेगी। पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने सोने के आयात पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे, जिसकी वजह से सराफा बाजारों में अधिकृत रूप से आने वाले सोने की उपलब्धि कठिन हो गई थी। तस्करी में सोना बड़ी मात्रा में आ रहा था। केंद्र सरकार ने 80:20 की जो शर्त सोना आयातकों पर लगाई थी, वह कठिन थी क्योंकि 20 फीसद आभूषणों का निर्यात करना कोई आसान काम नहीं था।
आयातकों ने बीच की गली निकाल ली थी, जिससे केंद्र सरकार को आयात शुल्क का भी नुकसान हो रहा था क्योंकि वास्तविक मांग की आपूर्ति तो तस्कर व्यापारी ही कर रहे थे। रिजर्व बैंक ने 80:20 से छूट दी, जिससे आयात एकदम बढ़ गया और बजट घाटा पुन: बढ़ गया। सोने का आयात नवंबर में अधिक मात्रा में हो गया था, वह सोना बिका नहीं। विश्व बाजार में भाव घटने का खामियाजा उतावले आयातकों को भुगतन पड़ा था। अत: दिसंबर में आयात में तीव्रता से गिरावट आ गई।
उद्योग सूत्रों का मानना है कि दिसंबर में सोने का आयात 15 से 20 टन के बीच हो सकता है। हालांकि आयात की अधिकृत जानकारी अभी पता नहीं चली है। दिसंबर में जो भी सोने का आयात हुआ है, वह खेप आधार पर हुआ है। आयातक को आयातित सोने का भुगतान तभी करना है, जबकि पूरा माल बिक जाए।
गौरतलब है कि मई 2013 के पहले अधिकतर सोना इसी आधार पर आयात होता था। उसके बाद इस शर्त पर सोने के आयात को बंद कर दिया गया था। वर्तमान में सोने का आयात खेप आधार पर ही हो रहा है। चर्चा यह भी है कि कुछ आयातक इंडोनेशिया से मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत एक फीसद कर चुकाकर आभूषणों का आयात कर रहे हैं। इस रास्ते 24 कैरेट सोने के गहनों का आयात हो रहा है।
जेम्स व जैलरी ट्रेड फेडरेशन ने मांग की है कि भारतीय रिजर्व बैंक आयात के दिशा-निर्देशों का स्पष्ट करें। इस समय पर्याप्त मात्रा में सोना उपलब्ध है। लागत से कम भाव पर बिक रहा है। सीजन की शुरआत में मांग बढ़ने पर कारोबार प्रभावित होगा।