ग्राहक हुए परेशान तो बैंकों को होगी मुश्किल, RBI ने जारी की गाइडलाइन
ग्राहक सेवा गुणवत्ता पर बैंकों को आरबीआइ ने चेतावनी जारी की है। पांच मानकों पर खरा नहीं उतरने वाले बैंको पर भारी जुर्माना लगेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । यह तथ्य तो किसी ने नहीं छिपा है कि सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति बेहद डांवाडोल है। लेकिन एक तथ्य जिस पर अभी तक खास गौर नहीं हुआ है वह है इन बैंकों में ग्राहक सेवा की गुणवत्ता का घटता स्तर। यह बात रिजर्व बैंक भी मानने लगा है। हाल के दिनों में इन बैंकों को कई बार ग्राहक सेवा स्तर को बेहतर बनाने की चेतावनी दी गई है। अब केंद्रीय बैंक ने कहा है कि अगर ग्राहकों की सुविधाओं और सेवाओं में सुधार नहीं आता है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आरबीआइ ने इस बारे में बैंकों की करीब से निगरानी करने का फार्मूला भी तैयार किया है। रिजर्व बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पांच आधार पर बैंकों की ग्राहक सेवा गुणवत्ता की निगरानी की जाएगी। केंद्रीय बैंक यह तय करेगा कि ग्राहकों के साथ सही व्यवहार हो, उनकी शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई हो, ईमानदारी व बिना किसी भेदभाव के सभी ग्राहकों को समान सेवा दिया जाए, नीतियां स्पष्ट स्थायी हो और ग्राहकों से सेवाओं के बदले अतिरिक्त शुल्क न वसूला जाए।
दरअसल, केंद्रीय बैंक ने पिछले वर्ष ही ग्राहकों की सेवा का गुणवत्ता में सुधार के लिए बैंकों के लिए नया चार्टर तैयार किया था। इसके तहत हर बैंक को 31 जुलाई, 2015 तक ग्राहक सेवा के अपने नियम तय कर लेने थे। लगभग सभी बैंक ने आरबीआइ के निर्देश पर ये नियम तो तय कर लिये हैं लेकिन उनका पालन नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि केंद्रीय बैंक ने अब ज्यादा सख्त रवैया अपनाने का फैसला किया है। इन मानकों पर असफल होने वाले बैंकों पर भारी आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा।बताते चलें कि हाल ही में ग्राहकों की सेवा की गुणवत्ता को लेकर केंद्रीय बैंक की तरफ से करवाये गये सर्वेक्षण से यह पता चला है कि सिर्फ 14 फीसद बैंकों का रिकार्ड बहुत अच्छा रहा है। 4000 एटीएम का सर्वे जब करवाया गया तो पाया गया कि एक तिहाई एटीएम काम नहीं कर रहे थे। यह शहरों की स्थिति थी।
माना जाता है कि ग्रामीण व अर्द्ध-शहरी क्षेत्र में ग्राहक सेवा की स्थिति और भी खराब है। आरबीआइ की सख्ती के बावजूद बैंकों में ग्राहकों को गलत सूचना दे कर बीमा उत्पाद या अन्य बीमा उत्पाद देने का काम हो रहा है। आरबीआइ को इस बात से भी आपत्ति है कि बैंक अपने अधिकारियों से तीसरे पक्ष के उत्पादों की बिक्री करवा रहे हैं। वित्तीय फ्राड रोकने में भी बैंकों की असफलता से केंद्रीय बैंक नाराज है। हाल ही में इस बात का खुलासा हुआ है कि मनरेगा के तहत खोले गये खातों में भारी भरकम राशि का लेन देन हो रहा है जबकि खाताधारकों को इस बारे में मालूम भी नहीं है। आरबीआइ ने इस पर भी बैंकों का ध्यान आकर्षित करवाया है।