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गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम बेहतर बनाएगा आरबीआई

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को मिली फीकी प्रतिक्रिया के बाद रिजर्व बैंक इसमें जान फूंकने जा रहा है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने इसके संकेत दिए हैं। यहां पत्रकारों से बातचीत में राजन ने कहा कि इस स्कीम में कुछ बेहतरी करने की आवश्यकता है। 18 नवंबर तक गोल्ड मोनेटाइजेशन

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2015 11:24 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2015 12:17 PM (IST)
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम बेहतर बनाएगा आरबीआई

नई दिल्ली। गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को मिली फीकी प्रतिक्रिया के बाद रिजर्व बैंक इसमें जान फूंकने जा रहा है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने इसके संकेत दिए हैं।

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यहां पत्रकारों से बातचीत में राजन ने कहा कि इस स्कीम में कुछ बेहतरी करने की आवश्यकता है। 18 नवंबर तक गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम ने महज 400 ग्राम ठोस सोना आकर्षित किया। मंदिरों और घरों की तिजोरियों में बंद 20 हजार टन से ज्यादा के सोने को बाजार में लाने के मकसद से यह स्कीम शुरू की गई थी। इस सोने का मूल्य 52 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का है। रत्न एवं आभूषण उद्योग के प्रतिनिधियों ने बीते हफ्ते आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास से मुलाकात की थी। इस दौरान स्कीम को आकर्षक बनाने पर चर्चा हुई थी।

उद्योग संगठनों ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) से प्रमाणित ज्वैलर्स को स्कीम के लिए कलेक्शन एजेंट के तौर पर भूमिका निभाने की अनुमति देने की खातिर सरकार से गुहार लगाई थी। इस सुझाव को वित्त मंत्रलय ने सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। वर्तमान में देश में 3.5 लाख ज्वैलर्स हैं। इनमें से 13 हजार बीआइएस प्रमाणित हैं।

गोल्ड बांड स्कीम को अच्छी प्रतिक्रिया1गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के उलट गोल्ड बांड स्कीम को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। सरकार की ओर से शुरू की गई इस स्कीम के पहले चरण में 246 करोड़ रुपये मूल्य के बांडों की खरीद के लिए 63,000 आवेदन मिले। ये आवेदन 917 किलो सोने के लिए हैं।

आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने ट्वीट किया, ‘एक नए प्रोडक्ट के लिए शानदार प्रतिक्रिया।’ गोल्ड बांड स्कीम के पहले चरण के लिए 5 नवंबर से लेकर 20 नवंबर के बीच आवेदन करना था। बांड का आवंटन 30 नवंबर को होगा। पहले बांड जारी करने के लिए 26 नवंबर की तारीख निर्धारित थी।

सरकार ने ऐसे लोगों के लिए यह स्कीम शुरू की है, जो निवेश के लिए सोना खरीदते हैं। सरकार चाहती है कि ये लोग सोना नहीं बल्कि गोल्ड बांड खरीदें, ताकि बाजार में इसकी मांग घटाई जा सके और आयात कम करना पड़े। सोने के बेतहाशा आयात में अरबों डॉलर खर्च होते हैं।

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