पी2पी लेंडिंग के लिए आरबीआइ बनाएगा नियम
आरबीआई जल्दी ही पीयर टू पीयर लेंडिंग कंसेप्ट लाएगा यह कर्ज लेन-देन का नया मॉडल है। इसके अनुसार कंपनियां फाइनेंसिंग कंपनियों एवं दूसरे प्रतिष्ठानों के बीच संपर्क कराने और कर्ज के लेनदेन की औपचारिकताएं पूरी करनेे में मदद करेंगी।
मुंबई, प्रेट्र। भारतीय रिजर्व बैंक जल्दी ही पीयर-टू-पीयर (पी2पी) लेंडिंग पर कंसेप्ट पेपर लाएगा। आरबीआइ इस पर नियमों को अंतिम रूप देने से पहले मार्केट रेगुलेटर सेबी से भी परामर्श करेगा। पी2पी लेंडिंग कर्ज लेने-देने का नया मॉडल है जिसके तहत पी2पी लेंडिंग कंपनियां फाइनेंसिंग कंपनियों, दूसरे व्यापारिक प्रतिष्ठानों और यहां तक कि सामान्य लोगों के बीच संपर्क कराने और कर्ज के लेनदेन के लिए तमाम औपचारिकताएं पूरी करने में मदद देती हैं। हालांकि कर्ज और ब्याज का लेनदेन कर्ज के लेनदार और देनदार के बीच ही होता है।
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रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने एक उद्योग संगठन द्वारा एनबीएफसी पर आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि जल्दी ही आरबीआइ पी2पी लेंडिंग पर कंसेप्ट पेपर अपनी वेबसाइट पर लोड करेगा और आम लोगों के अलावा सभी पक्षों से सुझाव मांगेगा। इसके अलावा वह सेबी से भी परामर्श करेगा। इसके बाद ही नियम तैयार करेगा।
भारत में पी2पी लेडिंग प्रचलित होने के साथ ही इसके रेगुलेशन की तैयारी
गांधी ने बताया कि सेबी ने सिक्योरिटी मार्केट साइड से पी2पी पर एक पेपर सार्वजनिक किया है। कर्ज के लेनदेन वाले पहलू पर आरबीआइ अपनी ओर से पेपर जारी करेगा। पिछले कुछ वर्षों से पूरी दुनिया में पी2पी लेंडिंग पर वित्तीय नियामकों का ध्यान गया है। भारत में भी अभी तक इसके लिए कोई नियम नहीं बने हैं। रिजर्व बैंक ने इस महीने के शुरू में दो माह की मौद्रिक नीति घोषित करते समय पी2पी पर नियम बनाने की मंशा जाहिर की थी। गांधी ने कहा कि आरबीआइ नए उत्पादों को प्रोत्साहन देता है लेकिन लेडिंग सिस्टम में इन कंपनियों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों पर ध्यान देना भी जरूरी है।
क्या है पी2पी लेडिंग
पी2पी लेंडिंग कंपनियां खुद कर्ज नहीं देती हैं बल्कि कर्ज का लेनदेन करने वाली कंपनियों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और आम लोगों को मिलवाने का काम करता है। कर्ज लेने व देने के इच्छुक लोगों को इन कंपनियों की वेबसाइट पर रजिस्टर कराना होगा।
किफायती कर्ज, बेहतर रिटर्न
चूंकि इसमें कर्ज का लेनदेन दोनों पक्षों के बीच प्रत्यक्ष रूप से होता है। इसलिए डिपॉजिट जमा कराने और कर्ज देने की लागत बच जाती है। इससे माना जाता है कि जहां अच्छी साख वालों को कर्ज सस्ती दरों पर मिल सकता है। वहीं कर्ज देने वाले अपनी पूंजी पर बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं।
कैसे होगा कर्ज का लेनदेन
दोनों पक्षों के बीच सभी शर्तों पर सीधे बातचीत होती है। भुगतान और ब्याज का लेनदेन भी प्रत्यक्ष रूप से होता है। दोनों पक्षों से कंपनी सिर्फ शुरुआती फीस लेती है और इसके बाद लोन का लेनदेन होने पर एडमिनिस्ट्रेटिव फीस लेती है।
कैसे पूरी होंगी औपचारिकताएं
पी2पी लेंडिंग कंपनियों की साइट पर रजिस्टर कराने के बाद बैंक की तरह अपनी पहचान से संबंधित और दूसरे तमाम दस्तावेज अपलोड कराने होंगे। कंपनी स्वतंत्र रूप से दस्तावेजों का सत्यापन करवाती है। इसके बाद दोनों के बीच सीधे बातचीत होती है।
जोखिम किसे उठाना होगा
कर्ज देने वाले को ही जोखिम उठाना होता है। हालांकि समझौते के अनुसार अगर कर्ज वापसी न होने पर वह कर्ज देने वाला कानूनी कार्रवाई कर सकता है। पी2पी कंपनियां दस्तावेजों का सत्यापन तो करती हैं लेकिन जोखिम में हिस्सेदारी नहीं करती हैं।
भारत में अभी शुरुआत
फंडिंग का यह सिस्टम अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में काफी विकसित हो चुका है। इसके लिए कुछ देशों ने नियम भी बना लिए हैं। लेकिन भारत में पिछले कुछ वर्षों में इसकी शुरुआत ही हुई है। आरबीआइ और सेबी अब इसके बारे में नियम बनाने की तैयारी में हैं।