महंगाई से लड़ाई पर रहेगा आरबीआइ का जोर
महंगाई पर अंकुश लगाने, फंसे कर्ज वाली परियोजनाओं को गति देने और बैलेंस शीट को साफ कर बैंकों को पर्याप्त पूंजी उपलब्ध कराने पर रिजर्व बैंक का जोर बना रहेगा। गुरुवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने 2014-15 के लिए वार्षिक रिपोर्ट में ये बातें कहीं।
मुंबई। महंगाई पर अंकुश लगाने, फंसे कर्ज वाली परियोजनाओं को गति देने और बैलेंस शीट को साफ कर बैंकों को पर्याप्त पूंजी उपलब्ध कराने पर रिजर्व बैंक का जोर बना रहेगा। गुरुवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने 2014-15 के लिए वार्षिक रिपोर्ट में ये बातें कहीं।
छोटी अवधि की व्यापक आर्थिक प्राथमिकताओं को गिनाते हुए राजन बोले कि इस दिशा में स्थिरता बहाल करने के लिए सरकार और आरबीआइ दोनों ने काम किए हैं। बावजूद इसके केंद्रीय बैंक के नजरिये से तीन क्षेत्र हैं जहां कार्य प्रगति में हैं।
पहला, देश में जितनी क्षमता है, आर्थिक विकास दर का स्तर उसके मुकाबले कम है। दूसरा, जनवरी 2016 के लिए महंगाई के अनुमान आरबीआइ के लक्ष्यों के ऊपरी सीमा पर हैं। तीसरा, बेस रेट यानी आधार दर को कम करने में बैंकों की अनिच्छा।
कमजोर कॉरपोरेट निवेश नए मुनाफे वाले लोन को तो घटाता ही है, बढ़ते एनपीए (फंसे कर्ज) के चलते कुछ बैंकों की पूंजी स्थिति खुलकर कर्ज देने से उन्हें रोकती है।
फंसे कर्ज वाली परियोजनाओं के समाधान में विलंब पर राजन बोले कि आरबीआइ इन्हें पटरी पर लाने के लिए काम कर रहा है, लेकिन इसमें कई बाधाएं हैं। खासतौर से कानूनी। मौद्रिक नीति समिति पर गवर्नर ने कहा कि आरबीआइ ने सरकार के साथ एक करार पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें महंगाई के लचीले उद्देश्य की शर्तो का स्पष्ट उल्लेख है। मौद्रिक नीति समिति की रूपरेखा तय करने की दिशा में उठाए गए कदम के लिए राजन ने वित्त मंत्री अरुण जेटली की सराहना की।
नए बेसल मानकों पर राजन का कहना है कि आरबीआइ समय से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का इरादा रखता है। नियमन में तेज बदलाव के साथ समय-समय पर चीजों को बदलने की जरूरत है। केंद्रीय बैंक की विभिन्न नियामकीय मुद्दों को समेटते हुए संशोधित मास्टर दस्तावेज एक जनवरी, 2016 तक लाने की योजना है।