राजन ने दिया ब्याज दर में कटौती का संकेत
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन ने रेपो रेट में चौथी बार कटौती का संकेत दिया है। उन्होने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान ब्याज दर में और कटौती पर अभी पूर्ण विराम नहीं लगा है। मगर इसका फैसला महंगाई व अर्थव्यवस्था के आंकड़ों के आधार पर
वाशिंगटन। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन ने रेपो रेट में चौथी बार कटौती का संकेत दिया है। उन्होने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान ब्याज दर में और कटौती पर अभी पूर्ण विराम नहीं लगा है। मगर इसका फैसला महंगाई व अर्थव्यवस्था के आंकड़ों के आधार पर किया जाएगा। राजन कंसास सिटी फेडरल रिजर्व की जैकसन होल आर्थिक संगोष्ठी में हिस्सा लेने आए हैं। कभी इसी संगोष्ठी में राजन ने 2007-08 की ग्लोबल मंदी की भविष्यवाणी की थी। उस वक्त वह अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के मुख्य अर्थशास्त्री थे।
रेपो दर (वह रेट जिस पर आरबीआइ बैंकों को कम अवधि के कर्ज देता है) में और कटौती को लेकर राजन पर लगातार सरकार और उद्योग जगत का दबाव बना हुआ है। गवर्नर ने कहा, 'हम अब भी महंगाई का सामना कर रहे हैं, जबकि अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ ऐसी स्थिति नहीं है। हमने इस साल अब तक तीन बार रेपो रेट में कटौती की है। अभी हम तालमेल बिठाने के चरण में है। केंद्रीय बैंक अभी सभी की सलाह पर विचार कर रहा है। हमारी आने वाले आर्थिक आंकड़ों पर नजर रहेगी। उसी के मुताबिक आगे फैसला करेंगे। हमने यह नहीं कहा है कि अब हम ब्याज दरों में कटौती नहीं करेंगे।'
आरबीआइ अपनी अगली मौद्रिक नीति समीक्षा 29 सितंबर को पेश करेगा। केंद्रीय बैंक इस साल अब तक तीन बार में रेपो दरों में कुल 0.75 फीसद की कटौती की है। चार अगस्त को हुई पिछली मौद्रिक और कर्ज नीति की समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। इसमें राजन ने कहा था कि रेपो रेट में कमी से पहले आरबीआइ महंगाई और मानसून के आंकड़ों का इंतजार करेगा।
मौद्रिक नीति समिति पर सहमति
गवर्नर के अनुसार, नीतिगत ब्याज दर तय करने के लिए मौद्रिक नीति समिति बनाने के मुद्दे पर रिजर्व बैंक और सरकार के बीच सहमति बन गई है। इसकी घोषणा जल्द कर दी जाएगी।
चीन की सुस्ती का ज्यादा असर नहीं
चीन को लेकर राजन ने कहा कि कहा कि यह पड़ोसी देश भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। मगर चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती से जिस तरह कई देश प्रभावित हो रहे हैं, उस तरह का बड़ा असर अभी भारत पर नहीं पड़ा है। यदि चीन का आर्थिक संकट और गहराता है, तो निश्चित ही इसका असर भारत पर दिखाई देगा। हालांकि, इतना तय है कि चीन की मंदी दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले हमें काफी कम प्रभावित करेगी।
फेड दरों वृद्धि टालने का सुझाव
राजन ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था में जब भारी अनिश्चितता का माहौल है, ऐसे में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों में बढ़ोतरी टाल देनी चाहिए। 'अगर इस बारे में मुझे फैसला करना होता तो मैं ग्लोबल मंदी जैसे इस माहौल में दरें कतई नहीं बढ़ाता। फेड दर में वृद्धि का लंबे समय से इंतजार हो रहा है। अमेरिकी ब्याज दर में वृद्धि का फैसला कभी भी हो सकता है, हर कोई जानता है कि यह होगा लेकिन इसे आगे खिसकाया जाना चाहिए।'