दुबली हो गई आमों की मलिका 'नूरजहां'
अपने भारी वजन के लिये मशहूर आम प्रजाति ‘नूरजहां’ इस बार मौसम के अप्रत्याशित बदलावों के चलते हालांकि थोड़ी दुबला गयी है। फिर भी बाजार में इसके दुर्लभ फल हर बार की तरह मुंह मांगे दामों पर बिक रहे हैं। इस भारी-भरकम आम प्रजाति के पेड़ मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल
इंदौर। अपने भारी वजन के लिये मशहूर आम प्रजाति ‘नूरजहां’ इस बार मौसम के अप्रत्याशित बदलावों के चलते हालांकि थोड़ी दुबला गयी है। फिर भी बाजार में इसके दुर्लभ फल हर बार की तरह मुंह मांगे दामों पर बिक रहे हैं।
इस भारी-भरकम आम प्रजाति के पेड़ मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में ही पाये जाते हैं। यहां से करीब 250 किलोमीटर दूर कट्ठीवाड़ा के अग्रणी आम उत्पादक शिवराज जाधव ने को बताया, ‘इस बार नूरजहां आम प्रजाति के फलों का औसत वजन करीब 3.5 किलोग्राम रहा, जो पिछले साल के मुकाबले 300 ग्राम कम है। गत वर्ष इस प्रजाति के आमों का औसत वजन लगभग 3.8 किलोग्राम रहा था।’
उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद थी कि इस बार नूरजहां का वजन पिछले साल के मुकाबले ज्यादा रहेगा। लेकिन मौसम के आगे भला किसका वश चलता है। नूरजहां प्रजाति के आम के पेड़ों पर इस बार देरी से बौर आये, जबकि मानसून की बारिश सामान्य वक्त से एक हफ्ता पहले शुरू हो गयी। इस वजह से नूरजहां की फसल तय वक्त से पहले ही पक गयी और इसके फलों का वजन पिछले साल के मुकाबले कम रहा।’
बहरहाल, ‘नूरजहां’ का वजन घटने के बावजूद इसके चाहने वालों की तादाद में कोई कमी नहीं आयी है। बाजार में इस आम प्रजाति के भारी-भरकम फलों का सौदा प्रति किलोग्राम के आधार पर नहीं, बल्कि प्रति ‘नग’ (एक फल) के हिसाब से होता है।
जाधव ने बताया, ‘इस बार भी बाजार में नूरजहां प्रजाति के आमों की भारी मांग है। इस किस्म के केवल एक आम की कीमत 300 से 500 रुपये है।’ उन्होंने बताया कि ‘नूरजहां’ के पेड़ों पर जब आम आने शुरू होते हैं, तो फलों के भारी वजन से पेड़ झुकने लगते हैं। आखिर में स्थिति यह हो जाती है कि उन्हें सहारा देना पड़ता है। ‘नूरजहां’ आम प्रजाति की दुर्लभ खूबियों को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार इसका पेटेंट कराने पर विचार कर रही है, ताकि सूबे में बड़े पैमाने पर इसके व्यावसायिक उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके।
‘नूरजहां’ का मौजूदा वजन चकित कर देने वाला है। लेकिन यह बात और आश्चर्यजनक है कि दशक भर पहले इसका वजन सात किलोग्राम तक होता था। यानी ‘फलों के राजा’ आम की यह ‘भारी.भरकम मलिका’ भारत में अपनी इकलौती पनाहगाह में गुजरे बरसों में खासी दुबला चुकी है।
जानकारों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान में असामान्य उछाल और उचित देखभाल का अभाव ‘नूरजहां’ के फलों का वजन घटने के प्रमुख कारणों में शुमार हैं। कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में ‘नूरजहां’ के गिने-चुने पेड़ बचे हैं, जो दशकों पुराने हैं और उचित देख.रेख के अभाव में उनकी उत्पादकता लगातार गिर रही है।