बैकिंग क्षेत्र में होंगे बड़े बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन मानते हैं कि आने वाले दिनों में बैंकिंग क्षेत्र में बड़े बदलाव होंगे। इस सेक्टर में नए खिलाडि़यों के आने से तस्वीर बदलेगी। सरकारी बैंक इस बदलाव में सबसे बड़ी भूमिका अदा करेंगे।
पुणे। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन मानते हैं कि आने वाले दिनों में बैंकिंग क्षेत्र में बड़े बदलाव होंगे। इस सेक्टर में नए खिलाडि़यों के आने से तस्वीर बदलेगी। सरकारी बैंक इस बदलाव में सबसे बड़ी भूमिका अदा करेंगे।
राजन राष्ट्रीय बैंक प्रबंध संस्थान (एनआइबीएम) के 11वें दीक्षांत समारोह में पहुंचे थे। छात्रों को संबोधित करते हुए वह बोले कि कुछ साल में बैंकिंग सेक्टर में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। नए संस्थान, पेमेंट बैंक, लघु वित्त बैंक के साथ संभव है कि पोस्टल बैंक अस्तित्व में आ जाएं। मौजूदा सरकारी बैंकों की भूमिका में बड़ी तब्दीली होगी। ज्यादा बदलाव सोशल बैंकिंग में होंगे। यही वह सेक्टर है जहां से नया कारोबार मिलेगा। इन बैंकों के साथ नए तरह के अवसर खुलेंगे। मसलन डेरिवेटिव बाजार और सक्रिय होगा। बैंक, बैंकिंग करेस्पॉन्डेंट और ग्राहक जो सूचना तकनीकी आज इस्तेमाल करते हैं, उसमें भी परिवर्तन होगा।
बीते साल दिसंबर में रिजर्व बैंक को पेमेंट बैंक के लिए 40 आवेदन मिले थे। जबकि छोटे बैंकों की खातिर आवेदनों की यह संख्या 30 थी। हाल ही में इंडिया पोस्ट ने भी पेमेंट बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। बीते साल एक अप्रैल को आरबीआइ ने आइडीएफसी और माइक्रो फाइनेंस कंपनी बंधन को बैंकिंग कारोबार में प्रवेश करने की इजाजत दी है।
रुपया बनेगा पूर्ण परिवर्तनीय
राजन ने बताया कि केंद्रीय बैंक कुछ साल में रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता पर विचार कर रहा है। पूर्ण परिवर्तनीयता पर उनका यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि शुक्रवार को ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुजरात में देश के पहले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र (आइएफसी) की शुरुआत की है। रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता होने से यह ग्लोबल वित्तीय सेवा केंद्र अधिक कारगर तरीके से काम कर पाएगा। रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता का मतलब यह हुआ कि विदेशी निवेशक अपने धन को अपनी स्थानीय मुद्रा में इच्छा से स्वदेश भेज सकेंगे। अभी देश में इसकी अनुमति नहीं है।
भारत के पक्ष में माहौल
इस मौके पर मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय माहौल अपेक्षाकृत रूप से भारत के पक्ष में झुका हुआ है। भारत तेल आयातक देश है। इसकी कीमतें नीचे बनी हुई हैं। इससे काफी कुछ करने के लिए रास्ते खुल जाते हैं। दुनिया में कुछ चमकती अर्थव्यवस्थाओं में भारत भी है।