Move to Jagran APP

मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम

रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की ओर से मंगलवार को पेश होने वाली मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बेहद कम है। थोक महंगाई दर भले चार फीसद से नीचे हो, मगर खुदरा वाली दर के सात फीसद से ऊपर रहने, मानसून में कमी व अंतरराष्ट्रीय हालात में अस्थिरता की वजह से शायद ही आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन दरों को

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Mon, 29 Sep 2014 08:06 PM (IST)Updated: Mon, 29 Sep 2014 08:07 PM (IST)
मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की ओर से मंगलवार को पेश होने वाली मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बेहद कम है। थोक महंगाई दर भले चार फीसद से नीचे हो, मगर खुदरा वाली दर के सात फीसद से ऊपर रहने, मानसून में कमी व अंतरराष्ट्रीय हालात में अस्थिरता की वजह से शायद ही आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन दरों को घटाने का फैसला करें।

loksabha election banner

देश के तमाम बैंकर और आर्थिक मामलों की सलाहकार एजेंसियां भी मान रही हैं कि कर्ज के सस्ता होने में अभी कुछ महीने का समय और लग सकता है। वैसे, वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को घटाकर बैंकों को ज्यादा फंड जुटाने की कोशिश गवर्नर इस बार भी जारी रख सकते हैं।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी केयर की रिपोर्ट के मुताबिक ब्याज दरों को लेकर केंद्रीय बैंक अभी भी मुतमुइन नहीं है। खास तौर पर देश के कई हिस्सों में मानसून के सामान्य से कम रहने का क्या असर होगा, इसका हिसाब किताब नहीं लग पाया है। वैसे, मानसून ने अंत में अपनी स्थिति सुधारी है लेकिन फिर भी कई हिस्सों में फसलों पर असर पड़ा है। वैसे भी आरबीआइ गर्वनर पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि वह नहीं चाहते कि ब्याज दरों को घटाया जाए और फिर कुछ महीनों बाद इसमें इजाफा किया जाए। ऐसे में आरबीआइ कुछ महीने और इंतजार कर सकता है। भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुधंति भंट्टाचार्य ने भी कुछ ऐसी ही उम्मीद जताई है कि अभी कर्ज सस्ता होने की गुंजाइश कम है।

महंगाई के ताजा आंकड़े देखें तो वे निश्चित तौर पर गिरावट का रुझान दिखा रहे हैं। अगस्त, 2014 में थोक मूल्य आधारित महंगाई की दर 3.74 फीसद थी, जो पिछले दो वर्षो का सबसे न्यूनतम स्तर है। खुदरा महंगाई के आंकड़े (7.8 फीसद) बताते हैं कि इनमें कमी आई है। केंद्रीय बैंक ने मार्च, 2015 तक खुदरा महंगाई को आठ और मार्च, 2016 तक इसे घटाकर छह फीसद पर लाने का लक्ष्य रखा है। जिस हिसाब से हाल के दिनों में जिंसों की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है उससे लगता है कि आरबीआइ निर्धारित अवधि से पहले ही यह लक्ष्य हासिल कर सकता है। क्रूड, स्टील, खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट का माहौल बनने का असर देश पर भी पड़ना तय है। इसलिए कई जानकार यह उम्मीद लगा रहे हैं कि मंगलवार के बाद जो अगली समीक्षा पेश होगी उससे ब्याज दरों में कमी का सिलसिला शुरू हो सकता है। तब कहीं आम जनता को सस्ते होम और ऑटो लोन का फायदा मिल पाएगा।

पढ़ें : महंगाई कम करने की जरूरत : राजन

पढ़ें : सुस्त प्रशासन रहा विकास दर में गिरावट का जिम्मेदार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.