खुले बाजार से बिजली खरीद 1000 करोड़ बचाएगा रेलवे
रेलवे के संचालन अब प्रोफेशनल प्रबंधन की छवि दिखने लगी है। पहली बार बृहस्पतिवार को रेलवे ने महाराष्ट्र में अपनी खपत के लिए खुले बाजार से 300 मेगावाट बिजली लेनी शुरू की है। इससे रेलवे को सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है।
नितिन प्रधान, नई दिल्ली। रेलवे के संचालन अब प्रोफेशनल प्रबंधन की छवि दिखने लगी है। पहली बार बृहस्पतिवार को रेलवे ने महाराष्ट्र में अपनी खपत के लिए खुले बाजार से 300 मेगावाट बिजली लेनी शुरू की है। इससे रेलवे को सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है।
रेलवे को खुद की खपत के लिए बिजली उसे मिले डीम्ड लाइसेंसी के दर्जे के बाद मिलना आसान हुई है। केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मंत्रालय का प्रभार संभालने के बाद ही इस दिशा में प्रयास तेज करने के निर्देश रेलवे बोर्ड को दिए थे ताकि रेलवे को खुले बाजार से सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध हो सके।
बृहस्पतिवार से रेलवे को मिलने वाली बिजली आरजीपीपीएल से मिल रही है। इसी साल ऊर्जा मंत्रालय ने इस संयंत्र से रेलवे को 500 मेगावाट बिजली देने का फैसला किया था।
इसके तहत 300 मेगावाट बिजली का इस्तेमाल रेलवे को महाराष्ट्र में और 200 मेगावाट मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में करने की इजाजत मिली थी। लेकिन इसके बावजूद रेलवे अभी तक इस संयंत्र से बिजली प्राप्त नहीं कर पा रहा था। इस दिक्कत को दूर करने रेलवे ने केंद्रीय विद्युत नियामक प्राधिकरण से गुहार लगाई। अंतत: इस महीने की 5 तारीख को रेलवे को डीम्ड लाइसेंसी का दर्जा मिला। जिसके तहत अब वह अपनी खपत के लिए अन्य किसी भी वितरण कंपनी की भांति खुले बाजार से बिजली प्राप्त कर सकता है।
इसका सबसे बड़ा लाभ रेलवे को यह हुआ है कि उसे सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध हुई। अभी तक रेलवे को बिजली कंपनियों से लंबी अवधि के अनुबंध के तहत बिजली प्राप्त होती रही है। इसमें रेलवे को प्रति यूनिट आठ से साढ़े आठ रुपये की दर से भुगतान करना पड़ता है।
लेकिन अब जरूरत के मुताबिक वह राज्य के नेटवर्क से जब चाहे बिजली प्राप्त कर सकता है। बृहस्पतिवार को 300 मेगावाट बिजली रेलवे ने मात्र साढ़े तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदी है। यह 300 मेगावाट बिजली महाराष्ट्र के 47 ट्रैक्शन सब स्टेशन से ली गई है।
रेलवे बोर्ड के एक उच्चाधिकारी के मुताबिक इससे रेलवे को हर साल 900 से एक हजार करोड़ रुपये की बचत होगी। वर्तमान में रेलवे का सालाना बिजली बिल करीब 13500 करोड़ रुपये का है।
सूत्रों के मुताबिक रेल मंत्री सुरेश प्रभु रेल संचालन में प्रोफेशनल प्रबंधन के प्रबल हिमायती हैं। उनकी लगातार कोशिशों और रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के प्रयासों के बाद रेलवे को अब खुले बाजार से बिजली मिलना शुरू हुआ है।
ओपेन एक्सेस के जरिए अब रेलवे अन्य राज्यों के वितरण नेटवर्क से भी बिजली प्राप्त करने की कोशिश कर रही है ताकि पूरे देश में खुले बाजार में उपलब्ध सस्ती बिजली से रेल संचालन किया जा सके।