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रेलवे करेगा अपनी ब्रांडिंग व मार्केटिंग

रेलवे अब अपनी ब्रांडिंग करेगा। इसका तरीका एकदम भिन्न और आधुनिक होगा। हो सकता है रेलवे के नए शुभंकर और प्रतीक चिह्न भी सामने आएं। ब्रांडिंग के तहत सरकार रेलवे का पूरा हुलिया बदलने की तैयारी में है। इसमें स्टेशनों, प्लेटफॉर्मों से लेकर ट्रेनों व डिस्प्ले बोर्डों के डिजाइन व

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2015 02:49 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2015 06:11 AM (IST)
रेलवे करेगा अपनी ब्रांडिंग व मार्केटिंग

संजय सिंह, नई दिल्ली। रेलवे अब अपनी ब्रांडिंग करेगा। इसका तरीका एकदम भिन्न और आधुनिक होगा। हो सकता है रेलवे के नए शुभंकर और प्रतीक चिह्न भी सामने आएं। ब्रांडिंग के तहत सरकार रेलवे का पूरा हुलिया बदलने की तैयारी में है। इसमें स्टेशनों, प्लेटफॉर्मों से लेकर ट्रेनों व डिस्प्ले बोर्डों के डिजाइन व रंग-रूप के मानक तय किए जाएंगे।

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआइडी) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइन (निफ्ट) के साथ रेलवे ने समझौते क्या किए, नए आइडियाज की मानो बाढ़ आ गई है। कभी कोच का इंटीरियर बदलने की बात हो रही है तो कभी ट्रेन के एक्सटीरियर और रंग पर प्रयोग हो रहे हैं। बिस्तर और तकिया पर सर्वे के परिणाम पहले ही सार्वजनिक हो चुके हैं। इन सबमें जल्द ही कुछ बेहतर रद्दोबदल सामने आएंगे। लेकिन बदलावों का मास्टर स्ट्रोक अभी सामने नहीं आया है। यह है रेलवे की ब्रांडिंग का जिसके लिए एनआइडी के अलावा इतर एजेंसियों की सेवाएं भी ली जा सकती हैं।


इसके तहत रेलवे में एकरूपता लाई जाएगी। इसमें रेलवे स्टेशनों, इमारतों और ट्रेनों, संकेतकों और सूचना पटों को एक खास रंग व डिजाइन में रंगना शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि अभी रेलवे खेमों में बंटी दिखाई देती है, जिसमें हर एक जोन का अपना अलग हिसाब-किताब है। इनके चेहरों में भिन्नता नजर आती है। मसलन, स्टेशनों, प्लेटफॉर्मों, ट्रेनों और बोगियों में लगने वाले साइनेज अलग रंग-रूप और आकार-प्रकार के हैं। कहीं इनका रंग नीला है तो कहीं पीला। इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड भी इससे अछूते नहीं है। ट्रेनों का रंग भी अलग-अलग है। कुछ ट्रेनें नीली तो कुछ मैरून कलर की हैं। जबकि कुछ को छींटदार हरे रंग में रंग दिया गया है। ब्रांडिंग के तहत इन्हें एक तरह का पैटर्न देने की कोशिश होगी, ताकि मेट्रो की तरह भारतीय रेल की छवि भी आधुनिक हो सके और उसकी भी जोरदार मार्केटिंग की जा सके।


फिलहाल यह जिम्मेदारी एनआइडी को दी गई है। हालांकि उसने इसके लिए अतिरिक्त धन की मांग की है। अभी तक एनआइडी को रेलवे ने दस करोड़ रुपये का बजट मुहैया कराया है। लेकिन एनआइडी का कहना है कि इस राशि से ट्रेनों का डिजाइन तो सुधर सकता है, पूरी रेलवे का नहीं। लिहाजा एनआइडी को मनाने के प्रयास चल रहे हैं। यदि बात नहीं बनी तो फिर ब्रांडिंग का जिम्मा किसी अन्य एजेंसी को दिया जाएगा।


एनआइडी ने ट्रेन के बाहरी रंग-रूप के पांच नए प्रारूप उपलब्ध कराए हैं, जिन पर रेलवे बोर्ड में विचार चल रहा है। निफ्ट के सुझाए बेड रोल के शुरुआती डिजाइन बोर्ड को पसंद नहीं आए थे। लिहाजा उसे नए डिजाइन तैयार करने को कहा गया है।


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