दोहरी माल भाड़ा नीति पर रेलवे सुप्रीम कोर्ट में
आयरन ओर की ढुलाई में दोहरी माल भाड़ा नीति और डिफॉल्टर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के अधिकार को लेकर रेलवे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।
दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आयरन ओर की ढुलाई में दोहरी माल भाड़ा नीति और डिफॉल्टर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के अधिकार को लेकर रेलवे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।
हाई कोर्ट ने रेलवे की दोहरी माल भाड़ा नीति को तो सही ठहराया है। लेकिन डिफॉल्टर कंपनी से पेनाल्टी वसूलने और कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने के अधिकारों में कटौती कर दी है।
इस याचिका के साथ ही रेलवे ने दोहरी माल भाड़ा नीति को चुनौती देने वाली विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को भी सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित करने की मांग की है। रेलवे की अर्जियों पर तीन जुलाई को सुनवाई होने की संभावना है।
रेलवे ने सर्कुलर जारी कर आयरन ओर की ढुलाई पर माल भाड़े की दोहरी मूल्य नीति लागू कर रखी है। नीति के मुताबिक घरेलू उपयोग के लिए जा रहे आयरन ओर का ढुलाई भाड़ा एक्सपोर्ट वाले से कम होता है।
रेलवे का कहना है कि ढुलाई के लिए बुक कराए जा रहे आयरन ओर के बारे में संबंधित कंपनी को पहले ही यह घोषित करना होता है कि यह माल घरेलू उपयोग के लिए जा रहा है या निर्यात के लिए। जो कंपनियां गलत जानकारी देती हैं उनसे रेलवे न केवल पेनाल्टी वसूलता है, बल्कि उन्हें भविष्य के लिए काली सूची में भी डाल सकता है।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने मैसर्स रश्मि मेटेलिक्स लिमिटेड की याचिका पर गत 24 दिसंबर को दिए गए फैसले में रेलवे की दोहरी माल भाड़ा नीति को सही ठहराया था। लेकिन डिफॉल्टर कंपनी से पेनाल्टी वसूलने और कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के उसके अधिकारों में कटौती कर दी थी।
हाई कोर्ट ने कहा कि रेलवे स्वयं से आकलन करके कंपनी द्वारा दी गई जानकारी को झूठा या गलत घोषित कर पेनाल्टी नहीं वसूल सकता, जब तक कि अदालत से उस जानकारी के गलत ठहरा कर डिक्री न पास कर दी जाए। इसके अलावा रेलवे पब्लिक कैरियर है। इसलिए वह किसी माल की ढुलाई से इन्कार नहीं कर सकता। अगर कोई सारी शर्तो का पालन कर रहा है तो रेलवे माल ले जाने इन्कार नहीं कर सकता। कोर्ट के इस फैसले पर रेलवे को गहरी आपत्ति है।
रेलवे ने कहा है कि उसकी दोहरी माल भाड़ा नीति जनहित में है। कंपनियां गलत जानकारी देकर कम भाड़ा दर पर आयरन ओर ले जाती हैं। इससे राजस्व का नुकसान होता है।
रेलवे ने जांच में रश्मि मेटेलिक्स को दोषी पाया और उसे कारण बताओ नोटिस के साथ भुगतान के लिए डिमांड नोटिस दिया। लेकिन कंपनी ने जवाब देने के बजाये रेलवे की नीति को ही कोर्ट में चुनौती दे दी। हाई कोर्ट का आदेश सही नहीं है और उसे रद किया जाए।