हाउसिंग डॉट कॉम के राहुल यादव ने इस्तीफा वापस लिया, बने रहेंगे सीईओ
प्रॉपर्टी सर्च साइट हाउसिंग डॉट कॉम के सीईओ राहुल यादव ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। अब वे इस पद पर बने रहेंगे। कंपनी बोर्ड की बैठक में राहुल ने बोर्ड मेंबर्स से अपनी आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए माफी मांगते हुए अपना इस्तीफा वापस ले लिया।
नई दिल्ली। प्रॉपर्टी सर्च साइट हाउसिंग डॉट कॉम के सीईओ राहुल यादव ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। अब वे इस पद पर बने रहेंगे। कंपनी बोर्ड की बैठक में राहुल ने बोर्ड मेंबर्स से अपनी आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए माफी मांगते हुए अपना इस्तीफा वापस ले लिया।
राहुल ने कुछ दिन पहले कंपनी के सीईओ पद से इस्तीफा देते हुए बोर्ड मेंबर्स और निवेशकों को एक मेल लिखा था। उस ईमेल में उन्होंने कड़े और आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था।
इधर पिछले कुछ दिनों से राहुल यादव और निवेशकों के बीच बिगड़ते रिश्तों की खबरें आ रही थी। हाउसिंग डॉट कॉम देश के चर्चित ई-कॉमर्स स्टार्टअप्स में से एक है और इसमें जापान के सॉफ्ट बैंक सहित कई बड़ी वेंचर कैपिटल कंपनियों का निवेश है। फिलहाल हाउसिंग डॉट कॉम का वैल्यूएशन 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा का है।
गौरतलब है कि रियलटी स्टार्टअप हाउसिंग.कॉम के सीइओ राहुल यादव ने सिक्योआ कैपिटल के एम डी शैलेन्द्र सिंह के साथ विवादों के कुछ हफ्ते बाद इस्तीफा दे दिया था। सूत्रों के अनुसार पहले हाउसिंग. कॉम के इनवेस्टर्स यादव को हटाने पर विचार कर रहे थे, क्योंकि राहुल यादव के स्ट्रैटजी प्लान्स से वह संतुष्ट नहीं थे।
पिछले साल दिसम्बर में, पोर्टल ने जपान के सॉफ्टबैंक से 100 मिलियन डॉलर फंड प्राप्त किया था। अब तक अन्य इन्वेस्टर्स से हाउसिंग.कॉम को 120 मिलियन डॉलर मिल चुका है, जिनमें हेलियन वेंचर्स, नेक्सेस वेंचर्स और क्वालक्म वेंचर्स शामिल है।
क्वालक्म को छोड़कर, यादव से अलग बाकी अन्य सभी इनवेस्टर्स और हाउसिंग.कॉम के को-फाउंडर आदित्य शर्मा का हाउसिंग.कॉम बोर्ड में प्रतिनिधित्व है।
अपने त्यागपत्र में बोर्ड के सदस्यों और इन्वेस्टर्स के लिए यादव ने लिखा था, “मुझे नहीं लगता कि आप लोग किसी भी समझदारी पूर्ण विचार-विमर्श को बौद्धिक रुप से करने के योग्य रह गए हैं। मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा, पर यह आपके चेहरों से साफ साबित हो रहा है।“
अपने शुरुआत के तीन साल पहले, पोर्टल ने पहली बार पिछले कुछ महीनों में एक एडवरटाइजिंग कैंपेंन-लुक-अप शुरु किया था।
बोर्ड के सदस्य शर्मा के हवाले से यह बात फरवरी में सार्वजनिक हुई थी कि सॉफ्टबैंक से फंड रिसीव करने के बाद फर्म ने आक्रामक विस्तार की योजना बनाई थी और डाटा रिसर्च फर्म का अधिग्रहण करने पर विचार कर रही थी।