राजन ने कृषि कर्ज माफी योजना पर उठाए सवाल
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने सरकारों की कृषि कर्ज माफी योजना पर सवाल उठाए हैं। राजन मानते हैं कि इस तरह की योजनाओं से किसानों को कम कर्ज मिल पाता है। महंगाई पर अपने नजरिये को भी उन्होंने स्पष्ट किया। राजन ने जोर देकर कहा कि मुद्रास्फीति पर
उदयपुर। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने सरकारों की कृषि कर्ज माफी योजना पर सवाल उठाए हैं। राजन मानते हैं कि इस तरह की योजनाओं से किसानों को कम कर्ज मिल पाता है। महंगाई पर अपने नजरिये को भी उन्होंने स्पष्ट किया। राजन ने जोर देकर कहा कि मुद्रास्फीति पर अल्पकालिक लक्ष्य के पीछे केंद्रीय बैंक नहीं भागेगा। घरेलू और ग्लोबल विकास को नजरअंदाज करते हुए दुनिया का कोई मुल्क ऐसा नहीं करता है। इसके लिए मध्यम अवधि का लक्ष्य रखा जाएगा।
इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन में शिरकत करने शनिवार को राजन यहां पहुंचे। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में कई मौकों पर कृषि कर्ज माफ किए गए। लेकिन, अध्ययन बताते हैं कि ये योजनाएं निष्प्रभावी रहीं। किसानों को इनका कोई फायदा नहीं मिला। अलबत्ता इनकी वजह से बाद में किसानों को मिलने वाले कर्ज की रफ्तार जरूर बाधित हुई। किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर राजन ने कहा कि यह महत्वपूर्ण और संवेदनशील मसला है। इस पर गहराई से अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारों ने पिछले साल राज्य में आए फेलिन तूफान से प्रभावित किसानों के लिए कर्ज माफी का एलान किया था। तेलंगाना ने माफ किए गए कर्ज का 25 फीसद बैंकों को दे दिया है। जबकि आंध्र प्रदेश ने अब तक ऐसा नहीं किया है। इन दोनों राज्यों में कृषि क्षेत्र में बैंकों ने 1.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। इससे पूर्व 2008 में तत्कालीन संप्रग सरकार भी किसानों के लिए कृषि कर्ज माफी और कर्ज राहत योजनाएं लाई थी। इसके तहत 3.69 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों तथा 60 लाख अन्य किसानों को 52,516 करोड़ रुपये के कर्ज से मुक्ति दी गई थी।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कर्ज माफी की इन योजनाओं में व्यापक धोखाधड़ी की ओर इशारा किया था। उसे ऐसे कई मामले मिले जिसमें अपात्र किसानों को कर्ज माफी का लाभ मिला। इसके उलट जो वास्तव में इसके पात्र थे, वे वंचित रह गए। कृषि क्षेत्र को सब्सिडी पर राजन ने कहा कि यह देखना होगा कि जो सब्सिडी दी जाती है, वह वास्तव में कृषि क्षेत्र के लिए मददगार है या नहीं। इसमें सकारात्मक पहलू यह है कि आप कृषि क्षेत्र को सस्ते कर्ज का लाभ दे रहे हैं। चिंता वाली बात यह है कि क्या इस कर्ज का सही इस्तेमाल हो रहा है या फिर इससे कर्जदारी बढ़ रही है या इसका निवेश अनाप-शनाप हो रहा है।
ब्याज दरों में कटौती को लेकर सरकार और उद्योग जगत से बढ़ते दबाब पर राजन ने दो-टूक कहा कि महंगाई को नियंत्रित करने में आरबीआइ की महती भूमिका है। इसकी खातिर एक-आध दिन के लिए लक्ष्य निर्धारित नहीं किए जा सकते। निचले स्तर पर कीमतों में स्थिरता का इंतजार करना होगा। जनवरी से आरबीआइ ने ब्याज दरों को यथावत रखा हुआ है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई की दर के नवंबर में शून्य के स्तर पर पहुंचने के बाद केंद्रीय बैंक पर ब्याज दरों में कटौती करने के लिए चौतरफा दबाव है। तीन फरवरी को वह मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करेगा।