अटक गई विमानन मंत्रालय की गाड़ी
सालाना रिपोर्ट कार्ड भेजने के पीएमओ के फरमान से कुछ मंत्रालयों के मंत्रियों के हाथ-पांव फूले हुए हैं। इनमें विमानन मंत्रालय शामिल है, जहां उपलब्धियों के नाम पर भारत की रैकिंग वापस पाने के अलावा कुछ नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सालाना रिपोर्ट कार्ड भेजने के पीएमओ के फरमान से कुछ मंत्रालयों के मंत्रियों के हाथ-पांव फूले हुए हैं। इनमें विमानन मंत्रालय शामिल है, जहां उपलब्धियों के नाम पर भारत की रैकिंग वापस पाने के अलावा कुछ नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर पीएमओ ने सभी मंत्रालयों से 26 मई तक अपनी साल भर की उपलब्धियों का ब्योरा भेजने को कहा है। सभी मंत्रालयों के अफसर इन दिनों इसकी तैयारी में जी-जान से जुटे हुए हैं। लेकिन विमानन मंत्रालय के अफसर परेशान हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि अपने मंत्रालय की किन उपलब्धियों को वह दर्शाएं। ले-देकर एफएए से डीजीसीए को भारत की ए कैटेगरी की विमानन सुरक्षा रैंकिंग वापस हासिल होने के अलावा उनके पास बताने को कुछ खास नहीं है।
मंत्रालय ने जिस राष्ट्रीय विमानन नीति का मसौदा नवंबर में जारी किया था, उसे अब तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। 5/20 रूल को खत्म करने में अब तक कामयाबी नहीं मिली है। ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्यूरिटी (बीसीएएस) में स्टाफ की कमी बरकरार है, जबकि मुखिया के तौर पर कमिश्नर की स्थायी नियुक्ति तीन साल से लंबित है। जहां तक एयर इंडिया का प्रश्न है तो उसकी स्थिति में सुधार के बजाय और बिगाड़ नजर आ रहा है। उसके पायलटों व क्रू सदस्यों के व्यवहार को लेकर शिकायतें बढ़ती जा रही हैं।
पिछले दिनों दो पायलटों के बीच कॉकपिट के भीतर ही मारपीट हो गई, जबकि एक अन्य मामले में पायलट ने गंदे ऑक्सीजन मास्क के कारण तीन घंटे तक विमान को रोके रखा। एयरलाइन सरकार द्वारा दिए गए पुनरुद्धार पैकेज के साथ न्याय नहीं कर पा रही है। रीजनल कनेक्टिविटी का विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू का मंसूबा भी दूर-दूर तक पूरा होता नहीं दिखाई दे रहा है।
साल भर में किसी भी छोटे एयरपोर्ट का न तो उद्घाटन हुआ है और न ही किसी नए एयरपोर्ट की नींव रखी गई है। जेवर एयरपोर्ट का मामला भी अटका है। किरायों पर किसी तरह की निगरानी रखने में मंत्रालय विफल रहा है। पूर्वोत्तर के दौरे के अलावा विमानन मंत्री का कोई प्रमुख दौरा याद में नहीं आता।