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और नहीं सुधरी बैंकों की स्थिति, मुनाफे को भी लगी भारी चपत

बैंकों को यह भारी भरकम हानि इसलिए भी हो रही है कि उन्हें आरबीआइ के निर्देश के मुताबिक अपने सभी फंसे कर्जे का खुलासा मार्च, 2017 तक करना है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 13 May 2016 08:28 PM (IST)Updated: Fri, 13 May 2016 11:10 PM (IST)
और नहीं सुधरी बैंकों की स्थिति, मुनाफे को भी लगी भारी चपत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एक एक करके पिछले वित्त वर्ष के चारों तिमाही गुजर गये लेकिन सरकारी बैंकों की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया। पिछले दो-तीन दिनों में जिन सरकारी बैंकों के नतीजे सामने आये हैं उससे साफ है कि ये बैंक फंसे कर्जे (एनपीए) की दलदल में और धंसे हैं।

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इन बैंको का मुनाफा कम हुआ है और आने वाले कितनी तिमाहियों में इनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी इसके भी कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। जाहिर है कि अगले वित्त वर्ष के दौरान सरकार को अपने खजाने से इन बैंकों को भारी भरकम राशि देनी होगी। वैसे इस काम के लिए बजट में 25 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया या है लेकिन जानकारों का मानना है कि जरुरत इससे काफी ज्यादा रकम की है।

जनवरी-मार्च, 2016 की तिमाही में बैंक ऑफ बड़ौदा के सकल एनपीए की राशि 40,521.04 करोड़ रुपये की हो गई है जो कुल अग्रिम राशि का लगभग 10 फीसद (9.99 फीसद) है। एक वर्ष पहले सकल एनपीए की राशि 16,261.45 करोड़ रुपये की थी। इस वजह से बैंक को इस तिमाही में 3230.14 करोड़ रुपये की हानि उठानी पड़ी है।

इसके पिछली तिमाही में बैंक को 3342.04 करोड़ रुपये की हानि हुई थी। इससे ज्यादा हानि आज तक किसी बैंक ने नहीं उठाया है। इसी तरह से ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स किसी भी तरह से इस तिमाही में 21.6 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाने में सफल रही है लेकिन अन्य सभी मानकों पर बैंक की स्थिति ठीक नहीं है। एक वर्ष में एनपीए (फंसे कर्जे) का स्तर 5.18 फीसद से बढ़ कर 9.6 फीसद हो गई है। ब्याज से होने वाली आय में कमी हुई है। लिहाजा कुल आय भी 5719.4 करोड़ रुपये से घट कर 5451 करोड़ रुपये रह गई है। यूको बैंक को पिछले वित्त वर्ष के दौरान 2788.2 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। जबकि एक वर्ष पहले बैंक ने इस तिमाही में 1138 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था। इसकी भी आय घटी है। एनपीए बढ़ा है।

बैंकों को यह भारी भरकम हानि इसलिए भी हो रही है कि उन्हें आरबीआइ के निर्देश के मुताबिक अपने सभी फंसे कर्जे का खुलासा मार्च, 2017 तक करना है। सरकार ने वर्ष 2016-17 के दौरान इन बैंकों को 25 हजार करोड़ रुपये की मदद देने का प्रावधान किया है। लेकिन जानकारों का कहना है कि सरकारी बैंकों की माली हालत जिस कदर बिगड़ती जा रही है उसे देखते हुए यह रकम नाकाफी होगी।

गंभीर नहीं एनपीए समस्या : बैंक ब्यूरो

एनपीए की समस्या पर आज बैंक बोर्ड ब्यूरो ने भी बैंकों के साथ अलग से बैठक की। बैठक में भारतीय स्टेट बैंक समेत 13 बैंकों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। बैंक बोर्ड ब्यूरो के अध्यक्ष विनोद राय ने बताया कि 'बैंकों के साथ एनपीए समेत अन्य कई मुद्दों मसलन मानव संसाधन व निदेशक बोर्ड में नई नियुक्तियों पर भी चर्चा हुई है। बैंकों की एनपीए की समस्या बहुत गंभीर नहीं है। एनपीए से निपटने के लिए अधिकांश बैंकों के पास अपनी रणनीति है जिसके तहत वे कदम उठा रहे हैं।' उन्होंने बताया कि सभी बैंकों के नतीजे आने के बाद ही बोर्ड यह सिफारिश करेगा कि किस बैंक को कितनी राशि की दरकार है। इसके आदार पर ही सरकार बैंकों को वित्तीय मदद देने का फैसला सरकार करेगी।


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