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किताब पर फिर सामने आई पीएमओ की झुंझलाहट

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब में लगे आरोपों पर पीएमओ की झुंझलाहट फिर सामने आई है। आरोपों पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) कोई ठोस जवाब तो नहीं दे पा रहा, उल्टा मीडिया पर सतही बातों को बढ़ावा देने का दोष जरूर मढ़ रहा है। साथ ही अलग-अलग मौकों पर दिए गए उनके औपचारिक भाषणों की गिनती एक हजार से ज्यादा बताते हुए पीएमओ ने दावा किया है कि वे अपने कार्यकाल में मौन नहीं रहे।

By Edited By: Published: Fri, 18 Apr 2014 04:02 PM (IST)Updated: Sat, 19 Apr 2014 11:15 AM (IST)
किताब पर फिर सामने आई पीएमओ की झुंझलाहट

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब में लगे आरोपों पर पीएमओ की झुंझलाहट फिर सामने आई है। आरोपों पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) कोई ठोस जवाब तो नहीं दे पा रहा, उल्टा मीडिया पर सतही बातों को बढ़ावा देने का दोष जरूर मढ़ रहा है। साथ ही अलग-अलग मौकों पर दिए गए उनके औपचारिक भाषणों की गिनती एक हजार से ज्यादा बताते हुए पीएमओ ने दावा किया है कि वे अपने कार्यकाल में मौन नहीं रहे।

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पिछले दिनों आई दो किताबों से प्रधानमंत्री की छवि को हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को अपने एक सूचना अधिकारी को सामने किया। लेकिन इस बारे में कोई कारगर सफाई रखने की बजाय उन्होंने संप्रग सरकार के दौरान हुए विकास कार्यो के लंबे-चौड़े दावे सामने रख दिए। ये वही पुराने आंकड़े हैं, जिनको सरकार की ओर से बार-बार पेश किया जाता रहा है।

उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के दस साल के कार्यकाल के दौरान देश ने ऐतिहासिक तरक्की की है। लेकिन इस बारे में लोगों को पता नहीं चल पा रहा। क्योंकि मीडिया की प्राथमिकताएं अलग हैं। किताब में लगाए गए आरोपों के बारे में पूछे जाने पर सूचना अधिकारी ने यह कह कर कन्नी काट ली कि इस बारे में पीएमओ, पार्टी और प्रधानमंत्री के परिवार के लोगों की ओर से पहले ही जवाब दिया जा चुका है।

बारू ने अपनी किताब में साफ तौर पर बताया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय की फाइलें पहले सोनिया गांधी को दिखाई जाती थी। यहां तक कि प्रणब मुखर्जी को वित्त मंत्री बनाने का फैसला भी सोनिया ने बिना प्रधानमंत्री से विचार-विमर्श किए ही ले लिया था। मगर इन तथ्यों के बारे में प्रधानमंत्री के संचार सलाहकार पंकज पचौरी के पास कहने को कुछ नहीं था। इसी तरह हर अहम मौके पर प्रधानमंत्री की चुप्पी का जवाब देने की बजाय उन्होंने सरकारी कार्यक्रमों के दौरान दिए गए मनमोहन के औपचारिक भाषणों की संख्या गिना दी। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान 1,198 भाषण दिए और उनकी ओर से बड़ी संख्या में प्रेस रिलीज जारी की गईं। कांग्रेस के चुनाव प्रचार से प्रधानमंत्री के गायब होने के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्होंने चार रैलियों को संबोधित किया है और चुनाव प्रचार से जुड़े फैसले पार्टी लेती है।

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