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गन्ना किसानों की खातिर ठोस योजनाएं पेश करने का निर्देश

घाटे से जूझ रहे चीनी उद्योग और बकाये से आजिज गन्ना किसानों की मुश्किलों को हल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुलाई बैठक में संबंधित सभी मंत्रालयों को कारगर कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया गया है। शनिवार को हुई इस बैठक में किसानों की बदहाली पर

By Edited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 12:02 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 04:21 AM (IST)
गन्ना किसानों की खातिर ठोस  योजनाएं पेश करने का निर्देश

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। घाटे से जूझ रहे चीनी उद्योग और बकाये से आजिज गन्ना किसानों की मुश्किलों को हल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुलाई बैठक में संबंधित सभी मंत्रालयों को कारगर कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया गया है। शनिवार को हुई इस बैठक में किसानों की बदहाली पर गंभीर चिंता जताई गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गन्ना किसानों के हित में तत्काल कारगर कदम उठाने को कहा है।

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उन्होंने इसके लिए चीनी निर्यात, एथनॉल उत्पादन बढ़ाने समेत अन्य उपायों पर योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। अगले एक पखवाड़े के बाद यह बैठक दोबारा बुलाई जाएगी, जिसमें कुछ ठोस फैसला लिए जाने की संभावना है। बैठक में कृषि, खाद्य, वाणिज्यि, वित्त और पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ मंत्रियों ने हिस्सा लिया।

देश में चीनी के भारी स्टॉक और अगले पेराई सीजन में गन्ने की बंपर पैदावार को देखते हुए घरेलू बाजार में चीनी लागत मूल्य से कम भाव पर बिक रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कीमतें नीचे होने के चलते निर्यात की संभावनाएं नगण्य हैं। नगदी के अभाव में मिलें किसानों के गन्ने का भुगतान करने में असमर्थ हैं। अकेले उत्तर प्रदेश के किसानों का सात हजार करोड़ रुपये चीनी मिलों पर बकाया है। इसी तरह महाराष्ट्र व कर्नाटक के किसानों का बकाया तीन-तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।

शनिवार की उच्चस्तरीय बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, खाद्य मंत्री रामविलास पासवान, कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान, वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान समेत इन सभी मंत्रालयों के आला अफसरों ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के उच्चाधिकारियों ने भी पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट पेश की। बैठक में केंद्र सरकार के चीनी उद्योग को अब तक दी गई हजारों करोड़ की रियायतों की समीक्षा की गई।

वाणिज्य मंत्रालय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के निर्यात की संभावनाएं तलाशने को कहा गया। कृषि मंत्रालय को गन्ने के खेती का वास्तविक रकबा और चीनी पैदावार का वास्तविक अनुमान लगाने का निर्देश दिया गया। पेट्रोलियम मंत्रालय से पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण को बढ़ाने की संभावना पर विचार करने को कहा गया।

उप्र में मिलों की हालत ज्यादा खराब
उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों की हालत इस कदर खराब है कि ज्यादातर गन्ना किसानों का भुगतान अभी अटका पड़ा है। कृषि राज्यमंत्री बालियान ने बताया कि मवाना और मोदी चीनी उद्योग समूह की मिलों ने तो खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है। इन मिलों ने मात्र पांच से दस फीसदी गन्ने का भुगतान किया है। दूसरी ओर बजाज हिंदुस्तान और बलरामपुर समूह ने अपनी कई मिलों में पेराई न करने का नोटिस दे रखा है, जबकि उन क्षेत्रों के किसानों ने भारी रकबे में गन्ने की खेती कर रखी है।
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