Move to Jagran APP

तिहरे कवच से समाज की सुरक्षा

अमेरिका ने पिछली सदी के चौथे दशक से आर्थिक प्रगति का एक लंबा दौर देखा है। इसके पीछे कई वजह थी। एक अहम वजह 1935 में तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैैंक रुजवेल्ट की तरफ से लांच की गई समाजिक सुरक्षा योजनाओं को बताया जाता है। समाजिक सुरक्षा यानी बीमा, पेंशन, स्वास्थ्य खर्चे

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sat, 23 May 2015 08:08 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2015 09:35 AM (IST)
तिहरे कवच से समाज की सुरक्षा

नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंजन]। अमेरिका ने पिछली सदी के चौथे दशक से आर्थिक प्रगति का एक लंबा दौर देखा है। इसके पीछे कई वजह थी। एक अहम वजह 1935 में तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैैंक रुजवेल्ट की तरफ से लांच की गई समाजिक सुरक्षा योजनाओं को बताया जाता है। समाजिक सुरक्षा यानी बीमा, पेंशन, स्वास्थ्य खर्चे आदि को वहन करने की एक व्यवस्था। इससे अमेरिकी युवा बुढ़ापे की अनिश्चितता से बेफिक्र हो कर अपनी ऊर्जा का उपयोग उद्यमशीलता में करने लगे। अब सवाल यह है कि क्या मोदी सरकार ने अपने कामकाज के पहले साल में भारतीय समाज को समाजिक सुरक्षा कवच देने की जो तीन योजनाएं लागू की हैैं वे भी बदलाव का कारक बनेंगी?

loksabha election banner

मोदी सरकार ने सत्ता में आने के कुछ ही महीने बाद जन धन बैैंक खाता योजना की शुरुआत की। इसका मकसद हर वयस्क भारतीय का एक बैैंक खाता खोलना है। इसके बाद प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और अटल पेंशन योजना की शुरुआत की गई। जाहिर है अभी समाज पर इनके असर का आकलन करना बहुत जल्दबाजी होगी। इसके बावजूद देश-विदेश के जानकार मान रहे हैैं कि आगे चलकर ये योजनाएं भारतीय समाज को कई चिंताओं से मुक्त करेंगी। साथ ही इनसे देश की अर्थव्यवस्था को भी नया आयाम मिलेगा। जानकार यह भी मान रहे हैैं कि देश के अधिकांश जनता को बैैंक खाता, पेंशन व बीमा जैसे वित्तीय उत्पाद देने की कोशिश आर्थिक सुधार के साथ दो दशक पहले शुुरू हुई होती तो आज भारत की तस्वीर दूसरी होती।

दमदार देश की निशानी ‘मजबूत समाजिक सुरक्षा’

सबसे पहले देखते हैैं कि भारत में समाजिक सुरक्षा की क्या व्यवस्था है। समाजिक सुरक्षा के लिहाज से भारत की गणना बेहद पिछड़े देशों में होती है। देश के महज छह फीसद कामगारों के पास पेंशन की व्यवस्था है। लगभग 50 फीसद आबादी का जीवन यापन कृषि से होता है, लेकिन उनके पास समाजिक सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। मुश्किल से पांच फीसद लोगों के पास साधारण बीमा है, जबकि 20 फीसद लोगों के पास जीवन बीमा है। स्वास्थ्य बीमा का कवरेज लगभग 15 फीसद लोगों के पास है। जबकि सिर्फ चार फीसद कामगारों के पास पेंशन व्यवस्था है। बीमा क्षेत्र पर फिक्की की एक रिपोर्ट के मुताबिक दो फीसद लोग सालाना गरीबी रेखा के नीचे इसलिए चले जाते हैैं, क्योंकि वे अपनी बीमारी का खर्च नहीं उठा पाते। देश की आबादी का 61 फीसद हिस्सा 25 वर्ष से कम आयु वर्ग के लोगों का है और इन्हें समाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना बेहद जरूरी है।

यही वजह है कि मोदी सरकार ने जिस तत्परता से समाजिक सुरक्षा योजनाओं को मंजूरी दी है, उसे देश की समाजिक व आर्थिक तस्वीर बदलने वाला माना जा रहा है। इन स्कीमों को लोगों ने जिस तरह से हाथो-हाथ लिया है, उससे भी इनकी जरूरत का अहसास होता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली बताते हैैं, ‘आजादी के 68 वर्षों में देश की महज 20 फीसद आबादी के पास बीमा पॉलिसियां हैैं, जबकि हमारी तीनों समाजिक सुरक्षा योजनाओं को महज 12 दिनों में 7.5 करोड़ खरीदार मिले हैैं।’ इन तीनों स्कीमों से बीमा कंपनियों को सालाना 10 हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम पहले वर्ष के दौरान ही मिलने के आसार हैैं। आगे चल कर प्रीमियम की राशि काफी ज्यादा हो सकती है। इस पैसे का इस्तेमाल देश की ढांचागत स्थिति को सुधारने में किया जाएगा।


अभी बहुत कुछ करना शेष

बेशक जन धन व सामाजिक सुरक्षा की इन तीनों योजनाओं की बुनियाद अच्छी है, लेकिन इनकी कुछ खामी भी सामने आने लगी हैै। अटल पेंशन योजना देश में असंगठित क्षेत्र में पेंशन देने की अपनी तरह की पहली स्कीम है, लेकिन जानकार इसे काफी कमजोर मान रहे हैैं। जैसे बीच में योगदान बंद करने पर पूरी राशि को जब्त करने जैसी शर्तों के चलते निवेशक इससे बिदक सकते हैैं। निवेशक अनुकूल बनाने के लिए सरकार को इसमें संशोधन करना होगा। इसी तरह से सुरक्षा बीमा योजना के तहत मिलने वाले फायदे के दायरे को बढ़ाना होगा। अभी इसके तहत 12 रुपये सालाना का प्रीमियम लगता है। सरकार इसमें थोड़ी बहुत वृद्धि कर दुर्घटना बीमा के अन्य फायदों को भी इसमें जोड़ सकती है। इसी तरह से जन धन योजना के जरिए सीधे किसानों को सब्सिडी पहुंचाने की स्कीम में अब देरी नहीं करनी चाहिए।


1. पीएम सुरक्षा बीमा योजना


* 18 से 70 आयु वर्ग के लिए उपलब्ध

* हर बैैंक खाता धारक को मिलेगा लाभ

* महज 12 रुपये का सालाना प्रीमियम

* दुघर्टना में मृत्यु पर परिवार को दो लाख रुपये तक का कवरेज


2. पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना

* दो लाख रुपये का जीवन बीमा

* 18 से 50 वर्ष के हर बैैंक खाता धारक के लिए

* 330 रुपये का सालाना प्रीमियम


3. अटल पेंशन योजना


* असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए

* 1000 से 5000 रुपये तक का पेंशन

* 60 वर्ष की आयु के बाद मिलेगा लाभ

* सरकार की तरफ से 1000 रुपये का योगदान



समाजिक सुरक्षा की बदहाल तस्वीर


1. देश की महज 20 फीसद आबादी के पास जीवन बीमा

2. महज 5 फीसद लोगों के पास साधारण बीमा पॉलिसी

3. कृषि से जुड़े 50 फीसद लोगों के पास कोई बीमा, पेंशन नहीं

4. महज चार फीसद कामगारों के पास पेंशन की सुविधा

5. स्वास्थ्य खर्चे की वजह से दो फीसद लोग हो जाते हैैं गरीब

श्रम सुधारों के कठिन रास्ते पर आगे बढ़ने की साहसिक पहल

एक इंजेक्शन से ठीक नहीं हो सकती 60 साल की बीमारी: वीके सिंह


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.