ऑटो के लिए शुल्क रियायत बढ़ने की उम्मीद नहीं
ऑटो उद्योग को उत्पाद शुल्क पर मिली रियायत नए साल में जारी रहने की संभावनाएं खत्म हो गई हैं। अप्रत्यक्ष कर संग्रह की धीमी रफ्तार को देखते हुए वित्त मंत्रलय अब इन रियायतों को बनाए रखने के पक्ष में नहीं है। वाहन उद्योग लगातार इसका दबाव बना रहा है कि
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऑटो उद्योग को उत्पाद शुल्क पर मिली रियायत नए साल में जारी रहने की संभावनाएं खत्म हो गई हैं। अप्रत्यक्ष कर संग्रह की धीमी रफ्तार को देखते हुए वित्त मंत्रलय अब इन रियायतों को बनाए रखने के पक्ष में नहीं है। वाहन उद्योग लगातार इसका दबाव बना रहा है कि इन्हें अभी जारी रखा जाए। मंत्रालय भी चाहता है कि कम से कम बजट तक इन रियायतों को बनाए रखा जाए। इस मंत्रलय की राय है कि बजट में ऑटो उद्योग के लिए व्यापक नीति का एलान हो, ताकि इसका समुचित विकास हो पाए।
वित्त मंत्रालय की दिक्कत अप्रत्यक्ष कर संग्रह की धीमी रफ्तार है। चालू वित्त वर्ष 2014-15 के लिए सरकार ने अप्रत्यक्ष कर संग्रह में 25.3 फीसद की वृद्धि का लक्ष्य रखा था। लेकिन मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की बुरी हालत के चलते ऐसा संभव नहीं दिख रहा। सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्रलय ने अपनी इस राय से भारी उद्योग मंत्रलय को भी अवगत करा दिया है।
बीते साल फरवरी में आए अंतरिम बजट में छोटी कारों, दोपहिया और कॉमर्शियल वाहनों पर उत्पाद शुल्क की दर को 12 से घटाकर आठ फीसद कर दिया था। जबकि एसयूवी पर फैक्टरी गेट ड्यूटी की दर को 30 से घटाकर 24 फीसद कर दिया गया था। मध्य आकार वाली कारों पर उत्पाद शुल्क को 24 से घटाकर 20 फीसद किया गया था।
केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद जून में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इन रियायतों को इस साल 31 दिसंबर तक बनाए रखने का एलान किया था। वित्त मंत्रालय को इन रियायतों को वापस लेने के लिए अलग से अधिसूचना जारी करने की जरूरत नहीं है। ये रियायतें स्वत: 31 दिसंबर के बाद मिलना बंद हो जाएंगी।
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