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महंगाई के बावजूद नहीं बढ़ी पीएफ की ब्याज दर

महंगाई के मद्देनजर कर्मचारी भविष्य निधि [ईपीएफ] की ब्याज दर में बढ़ोतरी की उम्मीदें ध्वस्त हो गई हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन [ईपीएफओ] बीते साल की तरह चालू वित्त वर्ष 2014-15 के लिए भी ईपीएफ पर 8.75 फीसद का सालाना ब्याज देगा। ईपीएफओ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड [सीबीटी] की मंगलवार को हुई बैठक में य

By Edited By: Published: Tue, 26 Aug 2014 08:44 PM (IST)Updated: Wed, 27 Aug 2014 07:37 AM (IST)
महंगाई के बावजूद नहीं बढ़ी पीएफ की ब्याज दर

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। महंगाई के मद्देनजर कर्मचारी भविष्य निधि [ईपीएफ] की ब्याज दर में बढ़ोतरी की उम्मीदें ध्वस्त हो गई हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन [ईपीएफओ] बीते साल की तरह चालू वित्ता वर्ष 2014-15 के लिए भी ईपीएफ पर 8.75 फीसद का सालाना ब्याज देगा। ईपीएफओ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड [सीबीटी] की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। जल्द ही वित्ता मंत्रालय इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगा।

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केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त के जालान ने सीबीटी की बैठक के बाद बताया कि विचार-विमर्श के बाद बोर्ड ने मौजूदा ब्याज दर को बनाए रखने का फैसला लिया है। बीते वित्ता वर्ष 2013-14 के लिए ईपीएफ की ब्याज दर 8.75 फीसद थी। चालू वित्ता वर्ष 2014-15 के लिए भी यही दर रहेगी।

वैसे उम्मीद की जा रही थी कि महंगाई को देखते हुए ट्रस्टी बोर्ड ईपीएफ पर ब्याज दर बढ़ाने का फैसला करेगा। इसकी वजह यह है कि मौजूदा ब्याज दर से ईपीएफ में जमा राशि उतनी भी नहीं बढ़ती, जितने चीजों के दाम बढ़ जाते हैं। वर्ष 2005 में ईपीएफ में जमा किए गए 100 रुपये आज भले ही 193 रुपये हो गए हों, मगर महंगाई को घटा दें तो यह रकम केवल 97 रुपये रह जाती है।

ईपीएफ के बजाय शेयरों अथवा म्यूचुअल फंडों में निवेश अपेक्षाकृत फायदेमंद साबित हुआ है। मगर यूनियनों के विरोध के कारण ईपीएफओ अपना फंड शेयर बाजार में निवेश नहीं करता। यूनियनों के अनुसार शेयर बाजार में जोखिम है। इसमें निवेश से ग्राहकों की रही-सही सुरक्षा भी खत्म हो सकती है। इसलिए ईपीएफओ केवल सरकारी प्रतिभूतियों व सरकारी और निजी क्षेत्र के बांडों में निवेश करता है।

ईपीएफ के पीछे सरकार का मकसद कर्मचारियों को सेवानिवृत्तिके बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना था, लेकिन मौजूदा ब्याज दर से इसकी गारंटी नहीं मिलती। यही वजह है कि कर्मचारी संगठन ब्याज दर बढ़ाने की मांग कर रहे थे। सूत्रों के मुताबिक सीबीटी की बैठक में उनके प्रतिनिधियों ने दरें बढ़ाने की जोरदार पैरवी भी की, मगर उनकी एक न चली।

बढ़ेगी अंशदान करने वालों की संख्या

इस समय ईपीएफओ के देश भर में लगभग पांच करोड़ ग्राहक हैं। कर्मचारी भविष्य निधि के लिए वेतन की सीमा 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये करने के सरकारी निर्णय से आने वाले सालों में ईपीएफओ में अंशदान करने वालों की यह संख्या 50 लाख और बढ़ जाएगी।

इससे कार्पस में बढ़ोतरी होगी, वहीं ब्याज की मद में देनदारी भी बढ़ जाएगी। अभी ईपीएफ फंड के निवेश से होने वाली कमाई 29,000 करोड़ रुपये है। 8.75 फीसद ब्याज देने पर केवल कुछ सौ करोड़ का सरप्लस बचेगा।


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