एनएचआइ ने बनाया अगली सरकार के लिए नया एजेंडा
विकास के मुद्दे पर लड़े जा रहे आम चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने नई सरकार के लिए राजमार्गो के निर्माण का एजेंडा तैयार करना शुरू कर दिया है। एनएचएआइ नई सरकार के समक्ष ऐसा कार्यक्रम पेश करना चाहता है जिससे अगले एक साल में तमाम बाधाओं को दूर कर इस क्षेत्र की सु
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विकास के मुद्दे पर लड़े जा रहे आम चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने नई सरकार के लिए राजमार्गो के निर्माण का एजेंडा तैयार करना शुरू कर दिया है। एनएचएआइ नई सरकार के समक्ष ऐसा कार्यक्रम पेश करना चाहता है जिससे अगले एक साल में तमाम बाधाओं को दूर कर इस क्षेत्र की सुस्ती को दूर किया जा सके।
चालू वित्त वर्ष 2014-15 के लिए एनएचएआइ ने पांच हजार किलोमीटर राजमार्गो के निर्माण का खाका तैयार किया है। लगभग 50 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इन परियोजनाओं में पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) और ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन) दोनों तरह की परियोजनाएं शामिल हैं। मगर एनएचएआइ का जोर अब ईपीसी पर अधिक होगा। चूंकि ईपीसी परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक धन की आवश्यकता होती है, लिहाजा एनएचएआइ सरकार से वित्तीय मदद की मांग करेगी। इसके अलावा, भूमि अधिग्रहण में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए नियमों में परिवर्तन का अनुरोध भी नई सरकार से किया जाएगा।
पिछले वित्त वर्ष (2013-14) में राजमार्गो के निर्माण की बेहद धीमी रफ्तार के मद्देनजर एनएचएआइ प्रबंधन 2014-15 के लिए रणनीति में आमूलचूल बदलाव का इच्छुक है। ज्यादातर परियोजनाओं को ईपीसी मोड में पूरा करने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा। वहीं, पीपीपी परियोजनाओं के लिए अर्थव्यवस्था में सुधार का इंतजार किया जाएगा। पिछले दो साल में यूपीए सरकार की नीतिगत पंगुता व आर्थिक सुस्ती के कारण राजमार्गो के निर्माण में निजी क्षेत्र ने बहुत कम रुचि दिखाई है। यही वजह है कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को पीपीपी के बजाय ईपीसी को अहमियत देनी पड़ी। इस तरीके से सड़कों के निर्माण में निर्माता कंपनियों को बैंकों और वित्तीय संस्थानों के नखरे नहीं झेलने पड़ते।
दस साल से केंद्र में काबिज यूपीए सरकार पर राजमार्गो के निर्माण में सुस्ती का आरोप भी है। जहां राजग के पांच साल के कार्यकाल में 23 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बने थे। वहीं, यूपीए के दस साल में महज 17 हजार किलोमीटर से कुछ अधिक राजमार्गो का निर्माण हुआ। यही नहीं, यातायात बढ़ने से पूर्व में बनाए गए राजमार्ग भी संकरे और खस्ताहाल हो गए। यूपीए सरकार इन्हें भी दुरुस्त नहीं करा सकी है। देश में पहली बार राजग सरकार ने एनएचडीपी के नाम से चार व छह लेन के राजमार्गो के विकास की राष्ट्रीय योजना बनाई और चलाई थी। एनएचएआइ को इसका दायित्व सौंपा था। अब इसके सात चरण हैं जिनमें 50,329 हजार किलोमीटर राजमार्गो के निर्माण का लक्ष्य है। इसमें से 21,910 किलोमीटर राजमार्ग बन गए हैं, जबकि 12,166 किलोमीटर पर काम चल रहा था। बाकी के ठेके दिए जाने अभी बाकी हैं।
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