अब सस्ते कर्ज की संभावनाएं तलाशने पर जोर
महंगाई रोकने की दिशा में सरकार की तरफ से उठे ताबड़तोड़ कदमों के बाद अब बारी जनता और उद्योग पर से महंगे कर्ज का बोझ उठाने की है। महंगाई में कमी की सूरत में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ब्याज की दरों में नरमी का रुख अख्तियार कर सके, इसका रास्ता अगले महीने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और आरबीआइ के ब
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। महंगाई रोकने की दिशा में सरकार की तरफ से उठे ताबड़तोड़ कदमों के बाद अब बारी जनता और उद्योग पर से महंगे कर्ज का बोझ उठाने की है। महंगाई में कमी की सूरत में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ब्याज की दरों में नरमी का रुख अख्तियार कर सके, इसका रास्ता अगले महीने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और आरबीआइ के बोर्ड की बैठक में निकल सकता है।
जेटली नौ अगस्त को होने वाली केंद्रीय बैंक की बोर्ड बैठक में हिस्सा लेंगे। वैसे तो हर साल बजट के बाद वित्त मंत्री रिजर्व बैंक के गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों के साथ बैठक करते हैं और बजट में उठाए गए कदमों पर विचार विमर्श करते हैं। लेकिन, महंगाई की मार से परेशान जनता को राहत देने के लिए ब्याज दरों को सस्ता बनाने की संभावनाओं पर भी बैठक में बातचीत हो सकती है।
महंगाई से इतर ब्याज दरों में कमी देश में औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी जरूरी मानी जा रही है। विकास की रफ्तार बढ़ाने में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का बड़ा योगदान है। यह और बात है कि महंगे कर्ज के चलते न तो उद्योग विस्तार कर पा रहे हैं और न ही उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता बढ़ रही है। जब तक ब्याज दरों में कमी नहीं होगी ऐसा हो पाना संभव नहीं होगा।
वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक बोर्ड के बीच यह बैठक तब हो रही है जब महंगाई की दर ऊंची बनी हुई है। जून में खुदरा महंगाई की दर आठ फीसद से कुछ अधिक रही है। लिहाजा, अगर इसमें कुछ नरमी आती है तो उस स्थिति में रिजर्व बैंक ब्याज दरों को नीचे लाने पर सोच सकता है। वैसे, वित्त मंत्री 'दैनिक जागरण' के साथ बजट के बाद हुए साक्षात्कार में कह चुके हैं कि ब्याज दरों में नरमी आनी चाहिए। अब यह तय करने का काम रिजर्व बैंक का है।