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किसानों को दिवाली तोहफा, समर्थन मूल्य घोषित

बिहार चुनाव से फुरसत मिलते ही केंद्र को मोदी सरकार ने किसानों के लिए बुधवार को दिवाली तोहफा की घोषणा कर दी है। दलहन फसलों के समर्थन मूल्य में ढाई सौ रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि के साथ 75 रुपये के अतिरिक्त बोनस देने का भी ऐलान किया गया है।

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2015 10:15 PM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2015 10:19 PM (IST)
किसानों को दिवाली तोहफा, समर्थन मूल्य घोषित

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार चुनाव से फुरसत मिलते ही केंद्र को मोदी सरकार ने किसानों के लिए बुधवार को दिवाली तोहफा की घोषणा कर दी है। दलहन फसलों के समर्थन मूल्य में ढाई सौ रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि के साथ 75 रुपये के अतिरिक्त बोनस देने का भी ऐलान किया गया है। जबकि रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं का समर्थन मूल्य 75 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं समेत समेत सभी फसलों के समर्थन मूल्य के कृषि मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) के प्रस्तावों को जस का तस मान लिया गया है। गेहूं का एमएसपी 1450 रुपये से बढ़ाकर 1525 रुपये कर दिया गया है। वहीं जौ का एमएसपी 1150 रुपये से बढ़ाकर 1225 रुपये क्विंटल कर दिया गया है।

दालों की महंगाई से आजिज सरकार ने इसकी खेती को प्रोत्साहित करने के लिहाज से एमएसपी में आकर्षक वृद्धि की घोषणा की है। दालों के समर्थन मूल्य में जहां 250 रुपये प्रति क्ंिवटल की वृद्धि की घोषणा की गई है, वहीं 75 रुपये प्रति क्ंिवटल के हिसाब से बोनस देने का भी ऐलान कर दिया गया है। बोनस चना व मसूर जैसी फसलों पर दिया जाएगा। इससे किसानों में दलहन खेती में रुझान बढ़ेगा। चने का समर्थन मूल्य 3175 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 3425 रुपये कर दिया गया है। जबकि मसूर 3075 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 3325 किया गया है।

सरसों तेल की बढ़ी कीमतों को लेकर सरकार ने सतर्कता बरतते हुए एमएसपी 3100 रुपये से बढ़ाकर 3350 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। सूरजमुखी की कीमत 3050 रुपये से बढ़ाकर 3300 रुपये क्विंटल कर दिया गया है। तिलहन के हाल तो और भी खराब हैं। देश में तिलहन को लेकर किसान उदासीन हैं, जिससे घरेलू मांग का 50 फीसद आयात से पूरा होता है।

तथ्य यह है कि देश में दलहन की भारी कमी के चलते दालों के लिए आयात ही एकमात्र विकल्प है। देश में सालाना 30 से 40 लाख टन तक दालें आयात की जाती हैं। बीते रबी सीजन में दलहन की दलहन फसलों के चौपट हो जाने से पैदावार में भारी कमी दर्ज की गई थी, जिसके चलते दालों की भारी किल्लत हो गई है। जिंस बाजार में दलहन की भारी महंगाई होती है।

सीसीईए का फैसला- सीसीईए की गुरुवार को हुई बैठक में बीपीएल और एपीएल परिवारों के लिए 27 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्न के आवंटन को भी हरी झंडी दी गई। यह खाद्यान्न उन राज्यों को अगले छह माह के दौरान मिलेगा जहां खाद्य सुरक्षा कानून को अभी तक लागू नहीं किया गया है। फिलहाल यह कानून देश के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है। सभी राज्यों में खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने की अंतिम तारीख पिछले 30 सितंबर को निकल चुकी है।

केंद्र के इस फैसले से बिना खाद्य सुरक्षा कानून वाले राज्यों के गरीबी रेखा से नीचे वाले यानी बीपीएल परिवारों को हर माह 2.10 लाख टन खाद्यान्न उपलब्ध होगा। गरीबी की रेखा से ऊपर यानी एपीएल वाले परिवारों के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न की मात्रा 4.15 लाख टन मासिक होगी। बीपीएल परिवारों को गेहूं 4.15 रुपये और चावल 6.65 रुपये प्रति किलो के भाव पर दिया जाता है। एपीएल के लिए राशन की दुकानों से यह गेहूं 6.10 रुपये और चावल 8.30 रुपये प्रति किलो उपलब्ध कराया जाता है।


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