बैंकिंग सौदों में ज्यादा पारदर्शिता को मजबूत होंगे केवाईसी मानक
वित्त मंत्रालय का मानना है कि केवाईसी के लिए उपलब्ध दस्तावेजों में केवल आधार ही ऐसा है जो ग्राहक की पहचान का पुख्ता प्रमाण है।
नई दिल्ली। बैंकिंग सौदों को ज्यादा पारदर्शी और ग्राहकों की पहचान सुनिश्चित करने के लिहाज से सरकार केवाईसी नियमों को और मजबूत बनाने पर विचार कर रही है। इसके तहत "आधार" को केंद्र में रखा जा सकता है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) के लिए उपलब्ध दस्तावेजों में केवल आधार ही ऐसा है जो ग्राहक की पहचान का पुख्ता प्रमाण हो सकता है।
हालांकि आधार को लेकर अभी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है। लेकिन वित्त मंत्रालय का मानना है कि केवाईसी के लिए आधार के इस्तेमाल के मामले में रुकावट आने की संभावना नहीं है। सरकार बैंक ग्राहकों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए ही केवल आधार का इस्तेमाल करेगी।
इस मामले को लेकर वित्त मंत्रालय में हो रहे विचार-विमर्श में यह माना गया है कि केवाईसी के तहत लिए जाने वाले अन्य दस्तावेजों में गड़बड़ी की संभावना बनी रह सकती है। पासपोर्ट से लेकर पैन कार्ड अथवा वोटर आईडी बनवाने में फर्जीवाड़े की आशंका रहती है। चूंकि आधार ही एक ऐसा दस्तावेज है, जिसमें बायोमेट्रिक पहचान का प्रावधान है, इसलिए इसे ज्यादा सुरक्षित दस्तावेज माना जा रहा है।
वित्त मंत्रालय का तर्क है कि वैसे भी देश की आबादी के बड़े हिस्से के पास अब आधार नंबर और कार्ड उपलब्ध है। करीब 92 करोड़ लोगों के आधार कार्ड बन चुके हैं। केवल उत्तर प्रदेश और बिहार ऐसे राज्य बचे हैं, जहां बड़े पैमाने पर आधार कार्ड बनाने का काम अभी बाकी है। इसलिए बैंक ग्राहकों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए इसे आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
सरकार ने आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया में भी तेजी लाने की कोशिश शुरू की है। इसलिए आधार कार्ड का अंतर जल्द ही पूरा हो जाने की संभावना है। सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर आधार कार्ड की अनिवार्यता की वकालत की है। इसलिए वित्त मंत्रालय मान रहा है कि अन्य दस्तावेजों के मुकाबले आधार कार्ड केवाईसी के लिए सबसे पुख्ता दस्तावेज हो सकता है।