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एमएफआइ संग अधिकारियों ने लगाया बैंकों को चूना

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन। वर्ष 2008 की किसान कर्ज माफी योजना में हुए घोटाले की परत धीरे-धीरे खुलने लगी है। इस योजना पर कैग की रिपोर्ट ने बड़े पैमाने पर बैंक अधिकारियों की मिलीभगत का खुलासा किया है। यह भी सामने आ रहा है कि पूरे घोटाले में बैंक अधिकारियों और माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं [एमएफआइ] की जबरदस्त साठगांठ रही है। पक्के सबूत होने के बावजूद अभी तक किसी भी बैंक ने अपने अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

By Edited By: Published: Wed, 06 Feb 2013 09:53 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
एमएफआइ संग अधिकारियों ने लगाया बैंकों को चूना

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन। वर्ष 2008 की किसान कर्ज माफी योजना में हुए घोटाले की परत धीरे-धीरे खुलने लगी है। इस योजना पर कैग की रिपोर्ट ने बड़े पैमाने पर बैंक अधिकारियों की मिलीभगत का खुलासा किया है। यह भी सामने आ रहा है कि पूरे घोटाले में बैंक अधिकारियों और माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं [एमएफआइ] की जबरदस्त साठगांठ रही है। पक्के सबूत होने के बावजूद अभी तक किसी भी बैंक ने अपने अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

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सूत्रों के मुताबिक कैग की रिपोर्ट के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस योजना का फायदा जिन खाताधारकों को मिला है, उनमें से 30 फीसद बैंक अकाउंट किसी न किसी एमएफआइ से जुड़े हुए हैं। सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि एमएफआइ से जुड़े खाताधारकों या किसानों को कर्ज माफी योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। यह योजना सीधे बैंक से कर्ज लेने वाले छोटे व सीमांत किसानों के लिए थी। इसके बावजूद रिकॉर्ड में हेराफेरी कर एमएफआइ के खाताधारकों के कर्ज माफ किए गए।

कैग ने इस स्कीम की जांच के तहत देश भर के 700 बैंक शाखाओं में किसान कर्ज माफी योजना का फायदा उठाने वाले एक लाख खाताधारकों के मामले की पड़ताल की है। इनकी 500 करोड़ रुपये की राशि माफ की गई थी। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 150 करोड़ रुपये सिर्फ छह एमएफआइ के खाताधारकों के माफ किए गए हैं। साफ है कि बैंक अधिकारियों ने जब आंख मूंदी होगी तभी एमएफआइ के कर्ज माफ किए गए होंगे।

कैग ने जितने खातों की पड़ताल की है, उनमें से 20 फीसद खातों से संबंधित कागजात में गड़बड़ी थी। इस हिसाब से देखा जाए तो इस स्कीम के तहत फायदा लेने वाले 3.73 करोड़ खातों में से 70-75 लाख खातों में गड़बड़ी हो सकती है। यूपीए-एक के कार्यकाल के अंतिम वर्ष 2008 में इस स्कीम को लांच किया गया था। इसके तहत कुल 3.73 करोड़ किसानों के 52,260 करोड़ रुपये माफ किए गए थे। इस स्कीम में भारी गड़बड़ी के आरोप सामने आने लगे तो सरकार ने कैग से इसकी जांच करवाई। कैग के लिए सभी 3.73 करोड़ खातों की जांच असंभव थी। इसलिए उसने लगभग एक लाख खातों की जांच-पड़ताल की है।

बहरहाल, रिजर्व बैंक ने कैग की रिपोर्ट के आधार पर बैंकों को निर्देश दिया है कि वे गलत तरीके से माफ किए गए कर्ज की वसूली करें। रिजर्व बैंक ने घोटाले में शामिल पाए जाने वाले बैंक अधिकारियों और ऑडिटरों के खिलाफ भी कार्रवाई करने को कहा है जो इन गड़बड़ियों को नहीं पकड़ सके।


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