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आज किश्त नहीं भरी, तो डिफॉल्टर हो जाएगा ग्रीस

आज पूरी दुनिया की नजर ग्रीस पर टिकी है। यूरोजोन समूह में शामिल इस देश को आज आईएमएफ से मिले कर्ज की 1.6 बिलियन यूरो की किश्त चुकाना है। अगर यह रकम आज नहीं चुकाई गई तो ग्रीस को डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा। आशंका जता

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2015 10:03 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2015 03:51 PM (IST)
आज किश्त नहीं भरी, तो डिफॉल्टर हो जाएगा ग्रीस

एथेंस। आज पूरी दुनिया की नजर ग्रीस पर टिकी है। यूरोजोन समूह में शामिल इस देश को आज आईएमएफ से मिले कर्ज की 1.6 बिलियन यूरो की किश्त चुकाना है। अगर यह रकम आज नहीं चुकाई गई तो ग्रीस को डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा। आशंका जताई जा रही है कि पूरी दुनिया पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है।

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ताजा खबरों के मुताबिक, ग्रीस सरकार ने यह रकम नहीं चुकाने का फैसला किया है। यानी ग्रीस का यूरोजोन से बाहर निकलना तय है।

माना जा रहा है कि इसके बाद ग्रीस के जीवन स्तर में गिरावट आ जाएगी, बैंकिंग व्यवस्था धराशायी होने की आशंका बढ़ेगी, बचत थम जाएगी, कंपनियां दिवालिया हो जाएंगी और आयात लागत बढ़ जाएगी।

ग्रीस के इस संकट का असर सोमवार से ही दुनिया भर के शेयर बाजारों पर देखने को मिल रहा है। भारतीय शेयर बाजार सेंसेक्स भी भारी गिरावट के साथ खुला था।

तस्वीरों में देखें ग्रीस पर छाया दिवालिया होने का संकट

वहीं चीन और जापान के शेयर बाजारों में गिरावट देखी गई। जापान का निकेई 3 फीसदी और चीन का शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 3.4 फीसदी नीचे बंद हुआ। हेंग शेंग में भी 2.7 फीसदी की गिरावट रही। इसी तरह यूरोपीय बाजारों में कैक, डेक्स और एफटीएसई में भी गिरावट देखी गई।

ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास के रवैये पर रोष

ब्रसेल्स। ग्रीस यूरोजोन से अलग होने की कगार पर खड़ा है। बेलआउट प्रस्ताव पर जनमत संग्रह में ग्रीस को 'हां' कहना है। नहीं तो उसे अलग रास्ता चुनना होगा। यूरोपीय कमीशन के प्रमुख जीन क्लाउड जंकर ने ग्रीसवासियों से 'हां' के पक्ष में वोट करने की अपील की है।

ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास के रवैये पर रोष प्रकट करते हुए जंकर ने वामपंथी सरकार से वोटरों को कम से कम अब सच बोल देने को कहा है। यूरोजोन के गुस्साए वित्त मंत्रियों ने शनिवार को उसके बेलआउट एग्रीमेंट को विस्तार देने से मना कर दिया। वोट की तारीख आने तक यह करार उसे 30 जून के आगे भी वित्तीय रूप से चलता रहने देता। हाथ खींचते ही ग्रीस में अफरातफरी मच गई। सोमवार से एक हफ्ते तक बैंकों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए। पैसा निकालने के लिए लोग एटीएम पर टूट पड़े तो वे खाली हो गए। मंगलवार को एटीएम खुलेंगे, मगर किसी को भी 60 यूरो से ज्यादा की राशि नहीं मिलेगी। बिगड़ते आर्थिक हालात से ग्रीसवासी दहशत में हैं।

पेट्रोल पंपों पर लंबी लाइनें नजर आने लगी है। पैसा नहीं होने से पेट्रोलियम का आयात भी ठप हो सकता है। ग्रीस पिछले छह साल से भारी वित्तीय संकट से जूझ रहा है। रविवार को यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने उसे और कर्ज देने से इन्कार कर दिया। इसके बाद हालात और बदतर हो गए हैं। नकदी का संकट होने से सरकार ने कई वित्तीय पाबंदियां लगा दी हैं। सात जुलाई तक शेयर बाजार भी नहीं खुलेंगे। बेलआउट प्रस्ताव पर 'नहीं' का साफ मतलब है कि ग्रीस डिफॉल्ट कर जाएगा। उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) का 1.5 अरब यूरो का बकाया 30 जून तक यानी मंगलवार तक लौटाना है। बेलआउट के विस्तार के सिप्रास के नए अनुरोध को लेनदार नहीं मानते हैं तो उसका संकट बढ़ना तय है।

खर्चों में कटौती नहीं करने का वादा कर सत्ता में आई सिप्रास सरकार ने वोटरों को सलाह दी है कि वह डील के समर्थन में वोट न करें। यह उनके लिए और शर्मिंदगी लाएगा।

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