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जानिए दुनिया में कैसे तय होती है गोल्ड की कीमत

योहारी सीजन पर सोने की खरीद में तेजी देखने को मिलती है। जानिए बाजार में सोने की कीमतें तय कैसे होती हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Mon, 10 Oct 2016 12:52 PM (IST)Updated: Mon, 10 Oct 2016 01:14 PM (IST)
जानिए दुनिया में कैसे तय होती है गोल्ड की कीमत

नई दिल्ली: त्योहारी सीजन पर सोने की खरीद में तेजी देखने को मिलती है। ऐसे मौकों पर सोने के सिक्के, आभूषण और मूर्तियों की मांग में जबरदस्त उछाल आ जाता है। शुभ सोने को खरीदने में आम लोग दिवाली के मौके पर खास दिलचस्पी दिखाने लग जाते हैं, लेकिन क्या आप में से किसी ने भी कभी यह सोचने की कोशिश की है कि आखिर सोने की कीमतें तय कैसे होतीं हैं?, नहीं न। तो चलिए जागरण डॉट कॉम आज आपको इस खबर के माध्यम से यह बताने की कोशिश करेगा कि आखिर बाजार में सोने की कीमतें तय कैसे होती हैं।

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दो तरह से तय होती हैं सोने की कीमतें

मांग और आपूर्ति पर टिका है सोने का गणित:
सोने की कीमतें हर रोज बदलती रहती हैं, ये बदलाव काफी हद तक बाजार में इस कीमती धातु की मांग और आपूर्ति के अनुपात पर निर्भर करता है। मांग और आपूर्ति ही सोने के इस बाजार की पूरी एबीसीडी को बयां करता है।

सोने की कीमतें तय करने वाली प्रशासनिक इकाई:

यह बात काफी सारे लोग जानते हैं कि मांग और आपूर्ति सोने की कीमतें तय करने का एक अहम कारक होता है। यानी जब मांग तेज होती है और आपूर्ति कम होती है तब इसके दाम उछल जाते हैं। हालांकि इसके अलावा भी सोने की कीमतें तय करने के लिए एक संचालन और प्रशासनिक इकाई होती है जो कि अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर काम करती है।

साल 2015 के पहले लंदन गोल्ड फिक्स सोने की नियामक इकाई थी। लेकिन साल 2015 के बाद एक नई इकाई का गठन हुआ। इस नई इकाई का नाम लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) है और इसे आईसीई बें्क एडमिनिस्ट्रेशन संचालित करती है। यह संगठन दुनिया के तमाम देशों की सरकारों से जुड़े राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के साथ मिलकर संयुक्त रुप से यह तय करता है कि सोने की कीमत क्या होनी चाहिए।

भारत में कौन तय करता है सोने का भाव:

वहीं भारत में सोने के भाव एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) नियामक तय करता है। यह संगठन भारतीय बाजार में मांग-आपूर्ति, अंतरराष्ट्रीय बाजार और बाजार की स्थिति (मुद्रास्फीति या अपस्फीति) को मद्देनजर रखते हुए ऐसा करता है। साथ ही यह इसके लिए लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) के साथ सामंजस्य भी बिठाता है।

लेकिन अनौपचारिक रूप से एलबीएमए एमसीएक्स (भारत), टोकोम(टोक्यो), कॉमैक्स (न्यूयॉर्क) और एसजीई (शंघाई) जैसी राष्ट्रीय स्तर की इकाईयों की तरफ से लिए गए फैसलों पर व्यवधान (आपत्ति) नहीं डालता है। ये सोने के वायदा बाजार और हाजिर बाजार दोनों की कीमतें तय करता है।

भारत में दो तरह से तय होती हैं सोने की कीमतें:

भारत में सोने की कीमतें दो तरह से तय होती हैं। फ्यूचर मार्केट (वायदा बाजार) औऱ स्पॉट प्राइस (हाजिर सर्राफा) दोनों कीमतें अलग-अलग होती हैं। आम उपभोक्ताओं का वास्ता स्पॉट प्राइस से पड़ता है। फ्यूचर प्राइस वायदा बाजार पूरी तरह से कारोबारियों के लिए होता है। यहीं पर सोने में सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है।


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