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नोटबंदी के बाद अब शुरू हुई बेनामी संपत्ति की जांच, जानिए इससे जुड़ी छोटी-बड़ी हर बात

नोटबंदी के फैसले के बाद अब केंद्र सरकार ने बेनामी संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है जिसके लिए सरकार ने 200 दलों का गठन भी किया है

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 18 Nov 2016 05:13 PM (IST)Updated: Fri, 18 Nov 2016 05:22 PM (IST)
नोटबंदी के बाद अब शुरू हुई बेनामी संपत्ति की जांच, जानिए इससे जुड़ी छोटी-बड़ी हर बात

नई दिल्ली: नोटबंदी के बड़े फैसले के बाद अब केंद्र सरकार ने बेनामी संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। इस काम के लिए सरकार ने 200 दलों का गठन भी किया है। फिलहाल हाइवे के पास की जमीनों और पॉश इलाकों के बड़े प्लॉट्स की जांच की जा रही है। अगर इस जांच प्रक्रिया के दौरान कोई भी व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के कुछ दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेनामी संपत्ति रखने वालों के खिलाफ जांच किए जाने की बात की थी।

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क्या होती है बेनामी संपत्ति?
ऐसी संपत्ति जो बिना नाम की होती है उसे बेनामी संपत्ति कहते हैं। इसके तहत लेनदेन उस शख्स के नाम पर नहीं होता जिसने संपत्ति के लिए कीमत चुकाई है, बल्कि यह किसी अन्य शख्स के नाम पर होता है।

कौन रखता है बेनामी संपत्ति?
बेनामी संपत्ति वे लोग रख सकते हैं जिनकी आमदनी का मौजूदा स्रोत स्वामित्व वाली संपत्ति खरीदने के लिहाज से अपर्याप्त होता है। यह बहन, भाई या रिश्तेदारों के साथ ज्वाइंट प्रॉपर्टी भी हो सकती है जिसकी रकम का भुगतान आय के घोषित स्रोतों से किया जाता है। यह संपत्ति चल या अचल संपत्ति या फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट्स के तौर पर हो सकती है। इसमें संपत्ति के एवज में पेमेंट करने वाले के नाम से कोई भी वैलिड डॉक्यूमेंट नहीं होता है। इस तरह के मामलों में बेनामी लेनदेन में शामिल दोनों पक्षों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

हाल में बेनामी लेनदेन अधिनियम में क्या हुआ संसोधन?
सरकार ने बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए बेनामी लेनदेन (पाबंदी) अधिनियम 1988 पारित किया था। इसके तहत बेनामी लेनदेन करने पर तीन वर्ष की जेल और जुर्माना या दोनों होने का प्रावधान था। इस कानून में संशोधन के लिए केंद्र की मौजूदा सरकार ने वर्ष 2015 में संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव किया। बीते अगस्त महीने में संसद ने इस अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी थी। आप को बता दें कि हाल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संशोधन को हरी झंडी दी है।

दोषी पाए जाने पर 7 वर्ष की सजा और जुर्माना:
नए कानून के तहत सजा की अवधि बढ़ाकर सात वर्ष कर दी गई है। जो लोग जानबूझकर गलत सूचना देते हैं उन पर प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य का 10 प्रतिशत तक का जुर्माना भी लग सकता है। सरकार ने भरोसा दिया है कि इस कानून के दायरे से धार्मिक ट्रस्ट बाहर रहेंगे। नया कानून घरेलू काले धन खासकर रियल एस्टेट सेक्टर में लगे काले धन की जांच के लिए लाया गया है।


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