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खराब मानसून के आसार से सहमा उद्योग जगत

मानसून के सामान्य से काफी कम रहने की खबर आने के बाद शेयर बाजार ने पिछले दो दिनों में एक हजार से ज्यादा अंक का गोता यूं ही नहीं लगाया है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2015 08:38 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2015 08:50 PM (IST)
खराब मानसून के आसार से सहमा उद्योग जगत

नई दिल्ली। मानसून के सामान्य से काफी कम रहने की खबर आने के बाद शेयर बाजार ने पिछले दो दिनों में एक हजार से ज्यादा अंक का गोता यूं ही नहीं लगाया है। निवेशकों को मालूम है कि समय पर मानसून नहीं आने से सिर्फ खेती को ही नुकसान नहीं पहुंचता, बल्कि यह ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि उपकरणों के अलावा साबुन-शैंपू जैसे रोजमर्रा की चीजें बनाने वाले उद्योगों की बिक्री भी घटा देता है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक लगातार दो वर्षो तक मानसून का सामान्य से कम होना ग्रामीण मांग को बहुत हद तक धवस्त कर सकता है।

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ऑटो उद्योग - दोपहिया वाहनों की बिक्री पिछले सात महीनों से लगातार घट रही है। ऑटो उद्योग के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (सियाम) का कहना है कि 30 फीसद दोपहिया वाहनों का बाजार ग्रामीण क्षेत्रों में है। तेजी से बढ़ रहा यह बाजार मानसून से बहुत प्रभावित होता है। पिछले वर्ष खराब खरीफ उत्पादन के बाद से ही बाइकों की बिक्री में कमी का दौर शुरू हुआ है, जो इस वर्ष मई तक जारी है। पिछले माह हीरो मोटोकॉर्प की बिक्री में पांच और बजाज ऑटो की बिक्री में दो फीसद की गिरावट आई है। ट्रैक्टरों की बिक्री पर सबसे ज्यादा कमी आने की संभावना जताई जा रही है। ट्रैक्टरों की बिक्री भी पिछले पांच-छह महीने से घट रही है। मई में महिंद्रा एंड महिंद्रा के ट्रैक्टरों की बिक्री 19 फीसद घट गई। दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियों और ट्रैक्टर उद्योग के लिए लगातार दो वर्षो तक असमान्य मानसून बड़ी मंदी ला सकता है।

एफएमसीजी - साबुन, वॉशिंग पाउडर, शैंपू जैसे रोजमर्रा के घरेलू उत्पादों (एफएमसीजी) के कुल कारोबार में देश के ग्रामीण बाजार की हिस्सेदारी 35 फीसद के करीब है। पिछले वर्ष जब खेती गड़बड़ हुई तो इस उद्योग में बिक्री की रफ्तार भी 11 से घटकर 7 फीसद पर आ गई। रिसर्च कंपनी नील्सन के मुताबिक इस उद्योग में चालू वर्ष में 10 फीसद की वृद्धि की संभावना है। लेकिन खराब मानसून की वजह से यह संभव नहीं दिखाई देता।

घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग - टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन उद्योग के लिए भी ग्रामीण बाजार की अहमियत बढ़ती जा रही है। अभी इस उद्योग में ग्रामीण बाजार की हिस्सेदारी 20 फीसद के करीब है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी नहीं होने और कृषि उत्पादन में कमी की वजह से माना जा रहा है कि ग्रामीण मांग कम होगी।

उद्योगों पर असर

1. ग्रामीण क्षेत्र की मांग में आएगी कमी

2. सस्ते कर्ज का सिलसिला थमेगा

3. दोपहिया व छोटी कारों की बिक्री घटेगी

4. ट्रैक्टरों की बिक्री भी होगी प्रभावित

5. साबुन, शैंपू जैसे उत्पाद भी कम बिकेंगे

6. इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की मंदी और गहराएगी


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