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औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार धीमी

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अर्थव्यवस्था में बदलाव के सरकार के दावों के बावजूद कारखानों की हालत पस्त होती जा रही है। इस साल अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार दो फीसद पर ही सिमट गई है। औद्योगिक क्षेत्र के हालात में कोई सुधार नहीं होते देख रिजर्व बैंक [आरबीआइ] पर ब्याज दरें कम करने का दबाव बढ़ गया है। इसके साथ ही सरकार को भी परियोजनाओं

By Edited By: Published: Wed, 12 Jun 2013 08:37 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार धीमी

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अर्थव्यवस्था में बदलाव के सरकार के दावों के बावजूद कारखानों की हालत पस्त होती जा रही है। इस साल अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार दो फीसद पर ही सिमट गई है। औद्योगिक क्षेत्र के हालात में कोई सुधार नहीं होते देख रिजर्व बैंक [आरबीआइ] पर ब्याज दरें कम करने का दबाव बढ़ गया है। इसके साथ ही सरकार को भी परियोजनाओं को मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी लानी होगी।

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अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन यानी आइआइपी की रफ्तार धीमी होने की मुख्य वजह खनन व बिजली उत्पादन में तेज कमी रही है। ऊंची ब्याज दरों के चलते कंज्यूमर ड्यूरेबल उत्पादों की मांग में कमी ने इस क्षेत्र के उत्पादन पर नकारात्मक असर डाला है। समीक्षाधीन माह में इस क्षेत्र के उत्पादन में 8.3 फीसद की कमी आई है। औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार थमने में सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि बीते साल अप्रैल में वृद्धि दर शून्य से नीचे रहने के बावजूद इसमें मात्र दो फीसद की वृद्धि दर ही हासिल की जा सकी है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर को उम्मीद से कम और निराशाजनक बताया है।

आइआइपी में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की भूमिका सबसे अहम है, क्योंकि कुल उत्पादन का 75 फीसद योगदान इसी क्षेत्र का है। इस क्षेत्र में भी अप्रैल में वृद्धि की दर मात्र 2.8 फीसद रही। एक साल पहले अप्रैल में इस क्षेत्र के उत्पादन में 1.8 फीसद की कमी आई थी। इसका मतलब साफ है कि मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। ऊंची ब्याज दरें और परियोजनाओं को मंजूरी देने के मामले में सरकारी सुस्ती अब भी इस क्षेत्र की रफ्तार बढ़ाने में बाधा बनी हुई है।

अप्रैल में बिजली उत्पादन में सिर्फ 0.7 फीसद की वृद्धि हुई है, जबकि खनन क्षेत्र के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले तीन फीसद की कमी आई है। कैपिटल गुड्स क्षेत्र के उत्पादन में भी मात्र एक फीसद की बढ़त दर्ज की गई है। यह देश के औद्योगिक विस्तार में सुस्ती का माहौल दर्शाती है।

सुस्त पड़े कारखाने

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क्षेत्र अप्रैल अप्रैल

2012 2013

आइआइपी -1.3 2

खनन -2.8 -3

मैन्यूफैक्चरिंग -1.8 2.8

बिजली 4.6 0.7

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मैन्यूफैक्चरिंग की गति

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क्षेत्र अप्रैल अप्रैल

2012 2013

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बेसिक गुड्स 1.9 1.3

कैपिटल गुड्स -21.5 1

इंटरमीडियरी

गुड्स -1.8 2.4

कंज्यूमर गुड्स 3.7 2.8

कंज्यूमर ड्यूरेबल 5.4 -8.3

कंज्यूमर नान

ड्यूरेबल 2.3 12.3


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