अर्थव्यवस्था को सबसे बड़ा खतरा देश के भीतर से
भारत ने चीन में सुस्ती के बावजूद ग्लोबल अर्थव्यवस्था में स्थिति मजबूत की। लेकिन, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा देश के भीतर से पैदा हो सकता है। एक मशहूर इंवेस्टमेंट रणनीतिकार ने ऐसी आशंका जताई है। चाल्र्स श्वाब के चीफ ग्लोबल इंवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट व सीनियर वाइस प्रेसीडेंट जेफरी
वाशिंगटन। भारत ने चीन में सुस्ती के बावजूद ग्लोबल अर्थव्यवस्था में स्थिति मजबूत की। लेकिन, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा देश के भीतर से पैदा हो सकता है। एक मशहूर इंवेस्टमेंट रणनीतिकार ने ऐसी आशंका जताई है। चाल्र्स श्वाब के चीफ ग्लोबल इंवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट व सीनियर वाइस प्रेसीडेंट जेफरी क्लेनटॉप का कहना है कि भारत में बहुदलीय व्यवस्था है। यदि सत्तारूढ़ दल से आगे सत्ता जाती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन सुधारों पर काम शुरू किया है, वे खतरे में पड़ जाएंगे।भारत अब भी कृषि प्रधान देश है, जहां अर्थव्यवस्था एक हद तक बारिश पर निर्भर है।
क्लेनटॉप ने दुनिया के निवेशकों को चेताया है कि अब ग्लोबल अर्थव्यवस्था की किस्मत तय करने वाला एक अहम घटक मौसम भी होगा। क्लेनटॉफ के मुताबिक अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए भारत को तीन काम करने होंगे। महंगाई काबू में रखनी होगी। ढांचागत सुधार करने होंगे। इसके अलावा बाढ़ से निपटने की तैयारी करनी होगी। इन्हीं की बदौलत भारत की ग्रोथ दुनिया में सबसे ज्यादा होगी। लंबी अवधि में निवेशकों को इन कारकों पर ध्यान रखना होगा।
क्लेनटॉफ के मुताबिक मोदी ऐसे सुधारों पर जोर दे रहे हैं, जिनका मकसद नियामकीय लालफीताशाही कम करना, विदेशी कंपनियों के लिए बिजनेस का दोस्ताना माहौल बनाना, बुनियादी ढांचा दुरुस्त करना और शिक्षित कार्यबल तैयार करना है।
चीन और भारत के बीच अंतर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि चीन ने निर्यात आधारित मैन्यूफैक्चरिंग और बुनियादी ढांचे पर खर्च से ध्यान हटाकर सर्विस और उपभोक्ता आश्रित अर्थव्यवस्था बनने पर ज्यादा जोर दिया। यही चीज वहां की अर्थव्यवस्था के खिलाफ गई। चीन की अर्थव्यवस्था में ट्रांजिशन की वजह से विभिन्न सेक्टरों के बीच करीब-करीब संतुलन बना रहा।
भारत का सर्विस सेक्टर 53 फीसद और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर 30 फीसद रहा है। जाहिर है, दोनों सेक्टरों के बीच 23 फीसद का बड़ा अंतर है। यही कारण रहा कि मैन्यूफैक्चरिंग में गिरावट की वजह से पूरी दुनिया और चीन के प्रभावित होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं हुआ। इसके अलावा भारत ने कुछ और चीजें चीन से हटकर अपनाई, जिसका फायदा यहां के आर्थिक हालात को हुआ। उदाहरण के लिए भारत मजबूत लोकतंत्र है, जबकि चीन में एकदलीय व्यवस्था।