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भारत ने चीन को छोड़ा पीछे, दूसरी तिमाही में विकास दर रही 7.4 प्रतिशत

मैन्युफैक्चरिंग में उछाल और खनन व सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में विकास दर बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई है जबकि पहली तिमाही में यह मात्र 7 प्रतिशत थी। हालांकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की यह वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2015 09:06 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2015 09:22 PM (IST)
भारत ने चीन को छोड़ा पीछे, दूसरी तिमाही में विकास दर रही 7.4 प्रतिशत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: मैन्युफैक्चरिंग में उछाल और खनन व सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में विकास दर बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई है जबकि पहली तिमाही में यह मात्र 7 प्रतिशत थी। हालांकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की यह वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही की 8.4 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले एक प्रतिशत कम है। वैसे इस तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था चीन की 6.9 फीसद विकास दर से आगे निकल गई है।

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जानकारों का मानना है कि जीडपी की वृद्धि दर का अगर यही रुझान रहा तो सरकार को वित्त वर्ष 2015-16 में 8.1 से 8.5 प्रतिशत विकास दर के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा। केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) ने सोमवार को जीडीपी के आंकड़े जारी किए जिसके अनुसार वित्त वर्ष 2015-16 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) विकास दर 7.2 प्रतिशत रही जबकि पिछले साल समान अवधि में यह 7.5 प्रतिशत थी।

सीएसओ के अनुसार दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सर्वाधिक वृद्धि व्यापार, होटल, परिहवन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं की 10.6 प्रतिशत हुई। सुखद संकेत यह है कि दूसरी तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग की वृद्धि बढ़कर 9.3 प्रतिशत हो गई जो कि पहली तिमाही में 7.2 प्रतिशत तथा पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 7.9 प्रतिशत थी। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि तमाम कठिनाइयों के बावजूद निवेश के माहौल में सुधार होने लगा है, मैन्युफैक्चरिंग के प्रदर्शन में आया है और आने वाले समय में निवेश में वृद्धि होने के आसार हैं।

सीएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि खेती पर सूखे की कड़ी मार पड़ी है। दूसरी तिमाही में कृषि, वानिकी और मत्स्यन क्षेत्र की वृद्धि दर 2.2 प्रतिशत रही इस अवधि में पशुपालन, वानिकी और मत्स्यन की वृद्धि दर 6 प्रतिशत रही है। अगर कृषि क्षेत्र को इससे अलग करके देखा जाए तो खेती की विकराल स्थिति का पता चल जाएगा।

सीएसओ के अनुसार दूसरी तिमाही के दौरान खरीफ मौसम में अनाज के उत्पादन में -1.8 प्रतिशत और दलहन के उत्पादन में -1.1 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि रही है। कृषि क्षेत्र ही सर्वाधिक लोगों को रोजगार देता है, इसलिए इस क्षेत्र की वृद्धि दर कम रहना चिंताजनक है।

इसी तरह निर्माण क्षेत्र में भी पिछले साल की तुलना में कम वृद्धि दर्ज की गई है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर मात्र 2.6 प्रतिशत है जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 8.7 प्रतिशत थी।

जीडीपी के ताजा आंकड़ों से स्पष्ट है अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि दर के मार्ग पर बरकरार रखने के लिए लंबित सुधारों की डोज तथा सस्ती दर पर कर्ज की दरकार है। इस बीच रिजर्व बैंक मंगलवार को अपनी ऋण एवं मौद्रिक नीति की समीक्षा करने जा रहा है।

भारत ने चीन को पीछे छोड़ा

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 7.4 प्रतिशत वृद्धि के साथ भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। इस अवधि में चीन की वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रही। वहीं इस तिमाही में रूस और ब्राजील दोनों की अर्थव्यवस्था में 4.1 फीसद की कमी दर्ज की गई है।


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