सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था की रफ्तार
घरेलू अर्थव्यवस्था की रफ्तार थोड़ी सुस्त पड़ गई है। वित्त वर्ष 2015--16 की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पादन ([जीडीपी)] की वृद्धि दर घटकर 7.3 फीसदी रह गई।
नई दिल्ली। घरेलू अर्थव्यवस्था की रफ्तार थोड़ी सुस्त पड़ गई है। वित्त वर्ष 2015--16 की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पादन ([जीडीपी)] की वृद्धि दर घटकर 7.3 फीसदी रह गई।
दूसरी तिमाही में विकास दर 7.7 फीसदी रही थी। मौजूदा वित्त वषर्ष की पूरी अवधि के लिए जीडीपी ग्रोथ 7.6 फीसदी रहने का अनुमान है। पहले देश की आर्थिक विकास दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।
बहरहाल, तीसरी तिमाही में जीवीए घटकर 7.1 फीसदी रह गया। दूसरी तिमाही में जीवीए 7.5 फीसदी था। पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीवीए 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है। इससे पहले जीवीए 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।
क्या है जीवीए
जीवीए के तहत प्रोडक्ट पर टैक्स जोड़ने के बाद सब्सिडी घटाकर जीडीपी का आंकड़ा निकाला जाता है। संशोधित हुई थी जीडीपी वित्त वषर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ रेट 7 फीसदी से संशोधित होकर 7.6 फीसदी हो गई है। दूसरी तिमाही में यह दर 7.4 फीसदी से संशोधित होकर 7.7 फीसदी हो गई थी। कृषि क्षेत्र निगेटिव जोन में तिमाही दर तिमाही आधार पर तीसरी तिमाही के दौरान कृषिष क्षेत्र की विकास दर 2 फीसदी से घटकर ([--)]1 फीसदी रह गई।
लेकिन, माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ 5 फीसदी से बढ़कर 6.5 फीसदी हो गई। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ भी 9 फीसदी से बढ़कर 12.6 फीसदी हो गई। तीसरी तिमाही में इलेक्ट्रिसिटी, गैस और वॉटर सप्लाई की ग्रोथ रेट 7.5 फीसदी से घटकर 6 फीसदी रह गई। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में भी तरक्की हुई। इस सेक्टर की ग्रोथ रेट 1.2 फीसदी से बढ़कर 4 फीसदी हो गई।
रियल एस्टेट में भी सुस्ती ट्रेड और ट्रांसपोर्ट सेक्टर की ग्रोथ 8.1 फीसदी से बढ़कर 10.1 फीसदी हो गई। डिफेंस सेक्टर में 7.5 फीसदी ग्रोथ दर्ज की गई, जो पहले 7.1 फीसदी थी। लेकिन, रियल एस्टेट सेक्टर की ग्रोथ रेट 11.6 फीसदी से घटकर 9.9 फीसदी रह गई। बेहतर प्रदर्शन माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड, ट्रांसपोर्ट और डिफेंस सेक्टर। मैन्युफैक्चरिंग की ग्रोथ सबसे शानदार 12.6 फीसदी रही। कमजोर प्रदर्शन कृषि, इलेक्ट्रसिटी, गैस, वॉटर सप्लाई और एस्टेट सेक्टर।
कृषि क्षेत्र की ग्रोथ सबसे कमजोर ([--)]1 फीसदी रही। सुस्ती के कारण मानसून सीजन में सामान्य कम बारिश का सीधा असर कृषिष क्षेत्र के उत्पादन पर हुआ। पिछले एक दशक में यह पहला मौका है, जब लगातार दूसरे साल देश के कई इलाकों में सूखा पड़ा। ज्यादा असर नहीं कम विकास दर का ज्यादा असर नहीं होगा। चूंकि कृषि क्षेत्र पर निर्भरता कम हो रही है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कृषि जिंसों के दाम करीब 7 साल के निचले स्तर पर हैं।