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मेक इन इंडिया से होगी सुधारों के नए दौर की शुरुआत

दुनिया भर की कंपनियों के बीच भारत में बेहतर निवेश अनुकूल छवि बनाने के लिए शुरू किए गए मेक इन इंडिया कार्यक्रम का देश की नीतियों पर भी दूरगामी असर होगा। यह कार्यक्रम देश में आर्थिक सुधारों के नए दौर की शुरुआत कर सकता है। सरकार को इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के दौरान ढेर सारे सुझाव मिले हैं। इन सुझावों को अमलीजामा पहनाने के लिए एक समिति के गठन का फैसला किया गया है। इसमें विभिन्न सरकारी मंत्रालयों के साथ उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

By Edited By: Published: Mon, 29 Sep 2014 08:50 AM (IST)Updated: Mon, 29 Sep 2014 08:50 AM (IST)
मेक इन इंडिया से होगी सुधारों के नए दौर की शुरुआत

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दुनिया भर की कंपनियों के बीच भारत में बेहतर निवेश अनुकूल छवि बनाने के लिए शुरू किए गए मेक इन इंडिया कार्यक्रम का देश की नीतियों पर भी दूरगामी असर होगा। यह कार्यक्रम देश में आर्थिक सुधारों के नए दौर की शुरुआत कर सकता है। सरकार को इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के दौरान ढेर सारे सुझाव मिले हैं। इन सुझावों को अमलीजामा पहनाने के लिए एक समिति के गठन का फैसला किया गया है। इसमें विभिन्न सरकारी मंत्रालयों के साथ उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

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बीते गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश-विदेश के सैकड़ों उद्योगपतियों के बीच मेक इन इंडिया कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उद्योग जगत ने सरकार के समक्ष कई सुझाव पेश किए। प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान ही अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन सुझावों को नीतियों में शामिल करने की ठोस व्यवस्था की जाए। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के तुरंत बाद ही वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके मंत्रालय के अधिकारियों व प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के साथ उद्योग जगत के प्रतिनिधियों की एक लंबी बैठक भी हुई। यह बैठक अनौपचारिक तौर पर हुई थी, लेकिन सरकार की तरफ से यह आश्वासन दिया गया कि हर सुझाव पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाएगा।

बैठक में फिक्की, सीआइआइ के प्रतिनिधियों समेत कई प्रसिद्ध उद्योगपति भी शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में शामिल उद्योग जगत के लोगों ने मेक इन इंडिया की सफलता के लिए सुधारों का नया चक्र शुरू करने की जोरदार वकालत की। फिक्की के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने एक प्रेजेंटेशन भी दिया। बिड़ला ने बताया कि श्रम सुधारों और नए भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन किए गए बगैर मेक इन इंडिया के उद्देश्यों को हासिल नहीं किया जा सकता। फिक्की ने पहली बार श्रम क्षेत्र में केंद्र व राज्यों के स्तर पर एक शीर्ष आयुक्त गठित करने का भी सुझाव दिया है।

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