Move to Jagran APP

सुधारों के पथ पर आगे बढ़ रहा भारत

आर्थिक सुधारों पर नीतिगत गतिहीनता के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन [संप्रग] सरकार अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सुधार के रास्ते पर आगे बढ़ रही है।

By Edited By: Published: Mon, 23 Apr 2012 05:45 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
सुधारों के पथ पर आगे बढ़ रहा भारत

वाशिंगटन। आर्थिक सुधारों पर नीतिगत गतिहीनता के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन [संप्रग] सरकार अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सुधार के रास्ते पर आगे बढ़ रही है।

loksabha election banner

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष [आईएमएफ] एवं विश्व बैंक की बसंत बैठकों में शरीक होने के लिए अपनी चार दिवसीय यात्रा पर आए मुखर्जी ने पत्रकारों से कहा, 'सुधार एक निरंतर प्रक्रिया है। यह ऐसा नहीं है कि आप इसे रोक सकें या इसे आगे बढ़ाएं।'

ज्ञात हो कि मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने यहां एक थिंक टैंक से कहा था कि वर्ष 2014 के आम चुनाव से पहले भारत में बड़े सुधारों की सम्भावना नहीं है। इससे बेपरवाह मुखर्जी ने कहा कि 1990 में भारतीय अर्थव्यवस्था के खुलने से लेकर, औद्योगिक नीति, विदेशी निवेश और विदेशी व्यापार नीति में बदलाव के साथ भारत सुधार के रास्ते पर बढ़ता रहा है।

उन्होंने कहा, ''ाल ही में हमने नई विनिर्माण नीति की घोषणा की है। बजट में मैंने विदेशी वाणिज्यिक कर्ज में निवेश के उदारीकरण के लिए कई उपायों की घोषणा की है।' विनिर्माण क्षेत्र में लम्बी अवधि के लिए कोष की जरूरत के लिए विदेश से निवेश आकर्षित करने के लिए भी एक व्यवस्था की गई है।

मुखर्जी ने कहा, 'इसलिए आप यह नहीं कह सकते कि यह सुधार है और यह पूरा हो गया है। यह एक निरंतर प्रक्रिया है। जो जारी रहती है।'

उन्होंने कहा कि कानून के मोर्चे पर कई उपायों पर विचार जारी है और हम वर्तमान बजट सत्र या अगले सत्र में तीन महत्वपूर्ण विधेयकों बीमा, पेंशन फंड और बैंकिंग कानून में संशोधन पर संसद की मंजूरी लेने की कोशिश करेंगे।

भारतीय कम्पनियों में सुधार की इच्छा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हाल में प्रांतीय चुनाव से लोगों की इच्छा का पता चलता है।

उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्रीय चुनाव के नजरिए से देखा जाए, तो सुधार की अगुआई करने वाली कांग्रेस पार्टी को जहां 2004 में 147 सीटें मिली थीं, वहीं 2009 में उसे 207 सीटें मिलीं। इससे साफ पता चलता है कि देश में सुधार किए जाने की चाहत है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.